Jagannath Mandir : पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार का ताला रविवार दोपहर को 46 सालों बाद खोला गया ।
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पूरी के लोगो का मानना है की उस खजाने की रखा सदियों सर्प करते आए है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के बहुमूल्य आभूषण, जो भक्तों और पूर्व राजाओं द्वारा सदियों से दान किए गए हैं आज भी रत्न भंडार में संग्रहीत हैं।
यह मंदिर के अंदर स्थित है और इसमें दो कक्ष हैं – भीतरी भंडार (भीतर का कक्ष) और बाहरी भंडार (बाहर का कक्ष)। बाहरी कक्ष को नियमित रूप से सोना बेशा (स्वर्ण वेश) के दौरान और प्रमुख त्योहारों में देवताओं के आभूषण लाने के लिए खोला जाता है, अंतिम बार रत्न भंडार का निरीक्षण 1978 में किया गया था। हालांकि इसे 1985 में फिर से खोला गया, तब कोई नया निरीक्षण नहीं किया गया था।
पिछली बीजद सरकार ने 4 अप्रैल, 2018 को रत्न भंडार खोलने का असफल प्रयास किया था। वे खोई हुई चाबियों के कारण इसे नहीं खोल सके, जिससे राज्यव्यापी आक्रोश हुआ।
सर्पों द्वारा खजाने की रक्षा की कहानियों के बीच, प्रशासन ने सर्प हेल्पलाइन के सदस्यों की मदद ली। बीते दिनों न्यायमूर्ति रथ, जो इस प्रक्रिया की देखरेख के लिए गठित समिति के अध्यक्ष हैं, ने कहा था, “सर्प हेल्पलाइन और चिकित्सा टीम के सदस्य मंदिर के अंदर नहीं जाएंगे। वे 12वीं सदी के इस मंदिर के बाहर स्थित मंदिर प्रशासन कार्यालय के पास स्टैंडबाय रहेंगे। यदि आवश्यकता पड़ी, तो उनकी मदद ली जाएगी।”
न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथने का यह भी कहना था की “चाबी अब कोई मुद्दा नहीं है। चाहे चाबियां काम करें या न करें, रत्न भंडार किसी भी स्थिति में खोला जाएगा। यह तथ्य है कि ताला लंबे समय से नहीं खोला गया है। इसके अलावा, यह संभावना है कि ताले में जंग लग गई हो, क्योंकि यह लोहे का बना है। यदि आवश्यक हुआ, तो हम ताला तोड़ देंगे।”
न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ के कहे अनुसार प्रशाशन ने अपना काम किया और कई पेटियों को भंडार से निजकल गया निकला गया। रत्न भंडार खोलने के ताले कोने की मुहूर्त रविवार दोपहर 1.58 बजे की थी। उससे पहले मंदिर में विधिवत पूजा और यज्ञ किया गया।
प्रशाशन के निगरानी में रत्न भंडार से निकले सरे बक्सों की निरीक्षण होगी। अंडर क्या और कितना है सब को सूचित किया जाएगा।
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