Kolkata की 150 साल पुरानी ट्राम सेवा अब बंद होने की कगार पर है। पश्चिम बंगाल सरकार ने यातायात जाम और व्यस्त सड़कों पर ट्राम के धीमे चलने का हवाला देते हुए इसे बंद करने की घोषणा की है। हालाँकि, मيدان से एस्प्लेनेड तक का एक ‘हेरिटेज’ रूट चालू रहेगा, ताकि लोग पर्यावरण के अनुकूल इस यात्रा का आनंद ले सकें।
लेकिन क्या इससे Kolkata की पहचान बचेगी? ट्राम सेवा, जो शहर की ऐतिहासिक धरोहर और परिवहन का पर्यावरणीय विकल्प थी, अब इतिहास के पन्नों में सिमटती नजर आ रही है। ट्राम प्रेमियों और कलकत्ता ट्राम यूजर्स एसोसिएशन (CUTA) ने इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि ट्राम धीमी नहीं है, बल्कि इसकी औसत गति 20-30 किमी/घंटा है और यह प्रदूषण मुक्त है।
इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई जा रही है, वहीं कई लोग इसे शहर के विरासत और पर्यावरण के लिए नुकसानदायक मान रहे हैं। सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस धरोहर को बचाने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा, या ये केवल स्मृतियों में ही रह जाएगी?
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