पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्ष और जनता के भारी दबाव के बीच “Aparajita Bill” को विधानसभा में पास कराया, जिसमें बलात्कार और बाल यौन शोषण के मामलों में दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है। इस बिल का उद्देश्य राज्य में यौन अपराधों पर कठोरता से अंकुश लगाना है। विपक्षी दलों और जनता के आक्रोश को देखते हुए ममता सरकार ने यह कड़ा कदम उठाया है। इस बिल का उद्देश्य राज्य में बलात्कार और बाल यौन शोषण के मामलों में कठोर सजा सुनिश्चित करना है। हालाँकि, इस बिल के प्रभावी होने के लिए इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी की आवश्यकता है।
बिल में भारतीय न्याय संहिता (BNS) के कई प्रावधानों में संशोधन किया गया है, जिसमें बलात्कार के दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान जोड़ा गया है। इस बिल में बलात्कार के मामलों में न्यूनतम सजा को आजीवन कारावास के साथ मौत की सजा का विकल्प देने का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा, अगर बलात्कार के कारण पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह स्थायी रूप से विकलांग हो जाती है, तो दोषी को सिर्फ मौत की सजा दी जाएगी।
आखिर क्या है “Aparajita Bill” में :
- कड़ी सजा: बलात्कार के लिए न्यूनतम सजा आजीवन कारावास या मौत की सजा तक बढ़ाई गई।
- मृत्यु के परिणामस्वरूप बलात्कार: पीड़िता की मृत्यु या स्थायी विकलांगता की स्थिति में केवल मौत की सजा का प्रावधान।
- गैंगरेप: 20 साल की सजा का विकल्प हटा, आजीवन कारावास या मौत की सजा अनिवार्य।
- पहचान का प्रकटीकरण: यौन हिंसा पीड़ित की पहचान उजागर करने पर 3-5 साल की सजा।
- बाल शोषण: POCSO अधिनियम के तहत बाल शोषण के लिए कड़ी सजा।
- विशेष अदालतें: यौन हिंसा मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों की स्थापना।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब ममता बनर्जी की सरकार पर कोलकाता के RG Kar Medical College और अस्पताल में हुई एक महिला डॉक्टर की बलात्कार और हत्या के मामले को लेकर भारी दबाव है। आलोचना का सामना करते हुए, ममता सरकार ने इस सख्त बिल को पेश कर विरोधियों पर पलटवार करने की कोशिश की है।
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