DM (डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट) और Judge, दोनों ही सरकारी तंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभ होते हैं, लेकिन उनकी शक्तियों और अधिकारों में बड़ा अंतर होता है। DM का काम फील्ड पर आधारित होता है, जहाँ उन्हें जिले के 30-35 विभागों की ज़िम्मेदारी निभानी होती है। जिले का पूरा प्रशासनिक नियंत्रण DM के हाथ में होता है, और उन्हें समाज के हर हिस्से पर नज़र रखनी होती है।
दूसरी ओर, Judge का काम केवल न्यायिक मामलों तक सीमित होता है। जब बात सिविल या डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की हो, तो DM पर Judge का कोई विशेष नियंत्रण नहीं होता। DM से सुझाव मांगा जा सकता है, लेकिन Judge उन पर सीधे कोई अधिकार नहीं जमा सकते।
हालांकि, स्थिति बदल जाती है जब बात High Court के Judge की होती है। High Court के Judge को व्यापक अधिकार प्राप्त होते हैं। उन्हें विवेकाधिकार दिया गया है, जिसके तहत वे अधिकारियों से रिपोर्ट मांग सकते हैं और उनसे सवाल कर सकते हैं। High Court के Judge के पास यह भी अधिकार है कि वे अधिकारियों को अपने सामने पेश कर सकते हैं और कामकाज की समीक्षा कर सकते हैं।
इस तरह, DM और Judge दोनों की शक्तियाँ महत्वपूर्ण हैं, लेकिन High Court Judge का अधिकार क्षेत्र सर्वोच्च है।
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