सुप्रीम कोर्ट ने फिर स्पष्ट किया है कि B.Ed डिग्रीधारक प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बनने के योग्य नहीं हैं। यह फैसला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखते हुए सुनाया गया, जिसमें बीएड धारकों की प्राथमिक शिक्षक के रूप में नियुक्ति को रद्द कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया शामिल थे, ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए और शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत प्राथमिक शिक्षा में न सिर्फ मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा शामिल है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी महत्वपूर्ण है। अदालत का मानना है कि बीएड डिग्रीधारक प्राथमिक कक्षाओं के लिए आवश्यक बुनियादी शिक्षा योग्यता पूरी नहीं कर पाते, जिससे वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में अक्षम हैं। यह आदेश पूरे देश में लागू होगा।
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