आदिवासी जनसंख्या में भारी गिरावट
हलफनामे में यह बताया गया है कि संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासी जनसंख्या, जो पहले 44% थी, अब घटकर 28% रह गई है। इसका मुख्य कारण मुस्लिम आबादी में हुई तेजी से वृद्धि को माना जा रहा है। सरकार का कहना है कि 2011 से लेकर 2021 तक इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी में औसतन 13% की वृद्धि दर्ज की गई है, जिसके चलते आदिवासी जनसंख्या में यह गिरावट आई है।
NRC लागू करने की मांग
केंद्र सरकार ने अवैध घुसपैठ, खासकर बांग्लादेश से, को इस जनसंख्या बदलाव का प्रमुख कारण माना है। इसे रोकने के लिए NRC की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है। हलफनामे में दावा किया गया है कि पाकुड़ और साहिबगंज में अवैध घुसपैठियों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो आदिवासी समुदाय के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है।
राजनीतिक विवाद और सामाजिक असर
इस मुद्दे ने झारखंड की राजनीति में गर्माहट पैदा कर दी है। विपक्षी पार्टियों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए इसे सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की साजिश करार दिया है। वहीं, सत्ताधारी दल इसे जनसांख्यिकीय संतुलन बनाए रखने और अवैध घुसपैठ पर रोक लगाने के लिए जरूरी कदम बता रहा है।
अवैध कब्जे और गतिविधियों पर सवाल
हलफनामे में अवैध भूमि कब्जा और मवेशियों की तस्करी को भी इस जनसंख्या बदलाव का कारण बताया गया है। इसके चलते क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति भी प्रभावित हो रही है।
आगे की कार्यवाही
अब इस मामले पर हाईकोर्ट में 17 सितंबर को सुनवाई होगी, जिसमें इस मुद्दे पर विस्तृत बहस की उम्मीद है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों ही इस मामले पर सख्त कदम उठाने के लिए तैयार हैं।
यह जनसंख्या बदलाव और NRC की मांग झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा बन चुका है, जिस पर आने वाले दिनों में और अधिक चर्चा होने की संभावना है।