घोड़ाबंधा पंचायत के पश्चिमी क्षेत्र के ग्रामीणों ने पंचायत में विकास कार्यों की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए हैं। नाम प्रकाशित ना करने की शर्त पर स्थानीय निवासी ने बताया कि पिछले दो सालों में कोई भी ठोस विकास कार्य नहीं हुआ है, जिससे स्थानीय जनता में मुखिया और पंचायत सचिव के प्रति गहरी नाराजगी है।
ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत क्षेत्र में ज्ञान केंद्र का उद्घाटन आज तक नहीं हो पाया है, जबकि अन्य क्षेत्रों में इस प्रकार की योजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त, पंचायत के द्वारा स्वच्छता के प्रति उदासीनता के आरोप भी लगाए जा रहे हैं। ग्रामीणों का दावा है कि स्थानीय कंपनियों द्वारा सीएसआर के तहत मिलने वाले ब्लीचिंग पाउडर, जिसका उपयोग सफाई और स्वच्छता के लिए किया जाना चाहिए था, सही तरीके से वितरित नहीं किया गया। उनके अनुसार इसे हार्डवेयर की दुकान में बेच दिया जाता है।
स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी पंचायत की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं। डेंगू के बढ़ते मामलों के बावजूद, पंचायत द्वारा फागिंग मशीन से छिड़काव नहीं किया गया है, जिससे स्थानीय लोग चिंतित हैं।
कुछ ग्रामीणों का यह भी कहना है कि किसी भी दस्तावेज़ पर साइन करने के लिए पंचायत अधिकारियों द्वारा उनसे पैसों की मांग की जाती है। इसके अलावा, पंचायत में होने वाली ग्राम सभाओं में भी मनमानी का आरोप है। ग्रामीणों का दावा है कि ग्राम सभा की बैठकों में उनकी उपस्थिति के बिना ही दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिए जाते हैं।
इन सभी आरोपों को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। हालांकि, पंचायत की मुखिया गुलाबी सरदार की ओर से इस पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। ग्राम पंचायत से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की जा रही है ताकि ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान हो सके।
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