रांची: हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद, एनसीपी विधायक कमलेश सिंह ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्यता ग्रहण कर ली। रांची स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में हुए इस कार्यक्रम में असम के मुख्यमंत्री हिमन्ता बिस्वा सरमा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, और पूर्व सांसद रविंद्र कुमार राय भी उपस्थित थे। कमलेश सिंह ने सैकड़ों समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल होने का फैसला किया, जिससे हुसैनाबाद के भाजपा कार्यकर्ताओं में असंतोष की लहर दौड़ गई।
बताया गया कि कमलेश सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोक कल्याणकारी योजनाओं और भाजपा की नीतियों से प्रभावित होकर पार्टी में शामिल होने का निर्णय लिया। सिंह ने कहा कि भाजपा में शामिल होकर वे अपने क्षेत्र के विकास को और गति देंगे। हालांकि इसके पीछे का असल कारण रहा कि NDA की सहयोगी दल NCP (अजीत पवार गुट) झारखंड में विधानसभा सीट की चाह रखे हुए थी। एनसीपी ने भाजपा से गठबंधन के तहत कुछ सीटें मांगी थी, हालांकि भाजपा की केंद्रीय नेतृत्व अजित पवार को किसी तरह से समझाने में कामयाब रही। और तयशुदा शर्तों के तहत ही हुसैनाबाद के विधायक कमलेश सिंह को भाजपा में शामिल कराया गया है। सूत्रों की मानें तो उन्हें भाजपा हुसैनाबाद से टिकट देने वाली है, इसकी लगभग सहमति बन गयी है।
हुसैनाबाद में भाजपा कार्यकर्ताओं का विरोध
कमलेश सिंह की भाजपा में संभावित एंट्री को लेकर हुसैनाबाद के भाजपा मंडल अध्यक्षों और प्रमुख नेताओं ने लगातार विरोध जताया था। उन्होंने आरोप लगाया कि कमलेश सिंह भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ आक्रामक थे और उन्होंने कई कार्यकर्ताओं को फर्जी मुकदमों में फंसाया था। इस विरोध के बावजूद पार्टी ने कमलेश सिंह को शामिल किया, जिससे स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी बनी हुई है।
भाजपा कार्यकर्ताओं में बढ़ता असंतोष
हुसैनाबाद के भाजपा कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी थी कि अगर कमलेश सिंह की पार्टी में एंट्री नहीं रोकी गई, तो वे सामूहिक रूप से भाजपा से इस्तीफा देंगे। अब जबकि कमलेश सिंह भाजपा में शामिल हो चुके हैं, यह देखना दिलचस्प होगा कि हुसैनाबाद के भाजपा नेता और कार्यकर्ता अपने अगले कदम के रूप में क्या कार्रवाई करेंगे।
भाजपा का प्रतिक्रिया: भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि कमलेश सिंह का पार्टी में शामिल होना झारखंड में पार्टी की स्थिति को मजबूत करेगा। हालांकि, हुसैनाबाद के भाजपा कार्यकर्ताओं के असंतोष को पार्टी नेतृत्व कैसे संभालता है, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।
अब भाजपा के सामने एक बड़ी चुनौती यह है कि कमलेश सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद हुसैनाबाद में पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष को कैसे नियंत्रित किया जाए। भाजपा नेतृत्व के लिए यह देखना जरूरी होगा कि क्या वे इन कार्यकर्ताओं को शांत करने में सफल हो पाते हैं या नहीं।
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