Jharkhand News: 1932 खतियान का दावा करने वाली हेमंत सरकार
Jharkhand News: 1932 खतियान का दावा करने वाली हेमंत सरकार | Image : Google

Jharkhand News: बाहरियों को बाँट दिए नियुक्ति पत्र, अब हो रही चौतरफा आलोचना. पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट…

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Jharkhand News: झारखंड की राजनीति में बाहरी-भीतरी का मुद्दा बीते दो दशक से गर्माया हुआ है। यहां जन्मे, पले-बढ़े लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता रहा है । आम नागरिकों से लेकर सांसद और विधायकों तक को “बाहरी” कहकर घेरा जाता है। सरकार द्वारा 1932 के खतियानधारी को स्थानीय मानकर तीसरी और चौथी श्रेणी की नौकरियों की बात की जाती है, जबकि सदन में मुख्यमंत्री 100% स्थानीय युवाओं को नौकरी देने का दावा करते हैं।

हाल ही में जारी एक अधिसूचना ने इस विवाद को और गहरा कर दिया है। झारखंड की सरकार ने 1932 के खतियान को स्थानीयता का आधार माना है, जिससे उन लोगों में नाराजगी है, जिन्होंने इस राज्य में जन्म लिया, पले-बढ़े और जीवन यापन किया। यह अधिसूचना सीधे तौर पर उन्हें ‘बाहरी’ करार देती है।

 

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जनता को धोखा?

स्थानीय युवाओं को नौकरी देने के वादे के बावजूद यह अधिसूचना इस ओर इशारा करती है कि किस तरह जनता को धोखा दिया जा रहा है। चुनावी वादों और जमीनी हकीकत में फर्क साफ नजर आ रहा है।

झारखंड की राजनीति में बाहरी-भीतरी का यह विवाद राज्य के विकास में बाधा बन रहा है। इसके कारण योग्य और काबिल युवाओं को भी अपनी पहचान के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

यह मुद्दा न केवल सामाजिक विभाजन को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि राज्य की एकता और अखंडता पर भी सवाल खड़े कर रहा है।

आगे की राह

झारखंड की सरकार को इस मसले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। स्थानीयता के मुद्दे को सुलझाने के लिए एक स्पष्ट और निष्पक्ष नीति बनानी होगी। केवल चुनावी वादों से जनता को संतुष्ट नहीं किया जा सकता, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस कदम उठाने होंगे।

राजनीति का उद्देश्य जनता की सेवा करना होता है, न कि उन्हें बांटना। इसलिए, सरकार को चाहिए कि वह इस विवाद को सुलझाकर राज्य के विकास की ओर ध्यान दे।

 

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