Mahakal Bhasma Aarti
महाकाल की भस्म आरती: एक अनोखी परंपरा का महत्व

Mahakal Bhasma Aarti: उज्जैन के महाकाल मंदिर में प्रतिदिन सुबह 4 बजे भस्म आरती की जाती है, जो अपने आप में एक अनोखी परंपरा है। इस आरती में भगवान शिव को भस्म से अभिषेक किया जाता है, जो एक विशेष प्रक्रिया के माध्यम से तैयार की जाती है।

भस्म आरती की शुरुआत 1986 में हुई थी, जब मंदिर के पुजारियों ने भगवान शिव को भस्म से अभिषेक करने का निर्णय लिया। इसके पीछे मान्यता है कि भस्म भगवान शिव की शक्ति का प्रतीक है और इससे भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है।

भस्म आरती के लिए विशेष नियम हैं। इसमें शामिल होने वाले पुजारी और भक्तों को विशेष दीक्षा लेनी होती है और उन्हें विशेष वस्त्र पहनने होते हैं। आरती के दौरान भगवान शिव को भस्म से अभिषेक किया जाता है और उनकी स्तुति की जाती है।

 

भस्म आरती का महत्व

महाकाल की भस्म आरती का महत्व बहुत अधिक है। मान्यता है कि इससे भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आरती में शामिल होने वाले भक्तों को विशेष अनुभूति होती है और वे भगवान शिव के दर्शन कर पाते हैं।

भस्म आरती की विशेषता

महाकाल की भस्म आरती की विशेषता है कि इसमें भगवान शिव को भस्म से अभिषेक किया जाता है। भस्म एक विशेष प्रक्रिया के माध्यम से तैयार की जाती है, जिसमें गाय के गोबर और अन्य वस्तुओं को मिलाकर एक विशेष मिश्रण तैयार किया जाता है। इस मिश्रण को भगवान शिव के ऊपर चढ़ाया जाता है, जो उनकी शक्ति का प्रतीक है।

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