Jharkhand : मरांडी कमेटी में एक-आध को छोड़ लगभग सभी टिकट के दावेदार, भाजपा की आंतरिक गुटबाजी और कलह सतह पर...
Jharkhand : मरांडी कमेटी में एक-आध को छोड़ लगभग सभी टिकट के दावेदार, भाजपा की आंतरिक गुटबाजी और कलह सतह पर...

Jharkhand:इस महीने 30-40 सीटों पर होगी उम्मीदवारों की घोषणा, भाजपा के बड़े आदिवासी चेहरे तलाश रहे सुरक्षित सीट!

Jharkhand : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की कमिटी में शामिल कुछ एक चेहरों को छोड़कर लगभग सभी पदाधिकारियों, मोर्चा अध्यक्षों और कार्यसमिति सदस्यों ने आसन्न विधानसभा चुनाव 2024 लड़ने की इच्छा जताई है. इसको लेकर दावेदारों ने संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को अपने राजनीतिक पोर्टफोलियो वाले बायोडाटा तैयार कर सुपुर्द भी कर दिया है. विश्वस्त सूत्रों के हवाले से एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि स्वयं आदिवासियों के बड़े नेता कहे जाने वाले बाबूलाल मरांडी ने एसटी सीट पर अपने हार के खतरे को भांपते हुए सामान्य सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. वे राजधानवार सीट से भाजपा की टिकट चाहते हैं. उधर पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रह चुके अर्जुन मुंडा भी अपने पुरानी सीट खरसवां से चुनाव नहीं लड़ना चाहते. उन्होंने भी अपने लिए सुरक्षित सीट की माँग पार्टी आलकमान से किया था. बहरहाल भाजपा के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और सह प्रभारी हिमन्ता विश्वा शर्मा ने कई मौकों पर ऐलान तक किया है कि भाजपा अपने सभी प्रमुख आदिवासी नेताओं को इसबार आदिवासी सीटों पर चुनाव लड़ाने की तैयारी में है. अब देखना दिलचस्प होगा की झारखंड भाजपा के आदिवासी नेता क्या रास्ता अपनाएंगे.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मरांडी की कमिटी से कुछ एक को छोड़कर लगभग सभी ने टिकट को लेकर अपनी अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर दी है. सभी पदाधिकारियों ने अपने पसंदीदा विधानसभा क्षेत्रों के नाम के साथ एक-एक विकल्प के संग बायोडाटा संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह को सुपुर्द कर दिया है. इसको देखकर यह साफ कहा जा सकता है कि भाजपा की आंतरिक गुटबाजी और कलह कम होने की संभावना अब बेहद कम रह गई है. चुनाव नज़दिक आते ही आपसी द्वंद और घमासान भी तेज हो गई है. इस महीने के अंत तक 30 से 40 सीटों पर भाजपा अपने असली चेहरों की घोषणा कर सकती है.

अध्यक्ष, महामंत्री से लेकर प्रवक्ता तक सभी टिकट के दावेदार

झारखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच भाजपा के भीतर गुटबाजी और टिकट के लिए मची खींचतान किसी से छिपी नहीं है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और दावेदार, जिन्हें जनता की सेवा का इतना खुमार है कि वे किसी भी कीमत पर चुनावी मैदान में उतरना चाहते हैं, अब एक-एक कर सामने आ रहे हैं।

भाजपा की आंतरिक राजनीति में टिकट की दावेदारी को लेकर ऐसा घमासान मचा है कि अगर एक टिकट पर दो नेता भी दावेदारी न करें, तो उसे दुर्लभ घटना माना जाएगा। हालात इतने दिलचस्प हो गए हैं कि मारांडी कमेटी के कुछ सदस्य, जिन्हें कभी मारांडी का कट्टर समर्थक माना जाता था, अब खुद को टिकट के दावेदारों की सूची से बाहर रखने का दिखावा कर रहे हैं, ताकि दूसरों के माथे पर पसीना आ सके।

पदाधिकारियों की प्रबल दावेदारी:
नीलकंठ सिंह मुंडा तो खूंटी से चुनाव लड़ने की इच्छा जता ही चुके हैं, पर उनके साथ राकेश प्रसाद, बालमुकुंद सहाय, भानुप्रताप शाही, लुईस मरांडी, बड़कुंवर गागराई, अशोक कुमार भगत, विकास प्रीतम और आरती कुजूर जैसे ‘जमीनी नेता’ भी पीछे नहीं हैं। इन नेताओं का आत्मविश्वास इतना प्रबल है कि उन्हें लगता है कि जनता उन्हें देखे बिना ही वोट दे देगी।

इतना ही नहीं, महामंत्री मनोज सिंह ने भी डालटनगंज से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। पार्टी में मंत्री गणेश मिश्र, सरोज सिंह, दुर्गा मरांडी, रविकांत मुत्रा मिश्र और दिलीप वर्मा ने भी अपनी-अपनी सीटें चुन ली हैं। शायद वे यह भूल गए हैं कि चुनावी मैदान में उतरे बिना ही वे ‘जीत’ का सपना देख रहे हैं।

प्रदेश कमेटी में दावेदारों की कतार:
प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य भी इस रेस में पीछे नहीं हैं। सुरेश साव, रमेश सिंह, संदीप वर्मा, अजय मारू, संजीव विजयवर्गीय, राकेश भास्कर, कृपाशंकर सिंह, केके गुप्ता और दिनेश कुमार जैसे ‘समर्पित कार्यकर्ता’ रांची और जमशेदपुर से टिकट की उम्मीद लगा बैठे हैं।

जिला के प्रभारी भी इस होड़ में शामिल हो गए हैं। सत्यनारायण सिंह, अमित सिंह, मनोज मिश्र, विनय जायसवाल, अभय सिंह, जीतूचरण राम और मुबोध सिंह जैसे नेताओं को लगता है कि उन्हें टिकट नहीं मिला, तो भाजपा का भविष्य ही अंधकारमय हो जाएगा।

गुटबाजी और कलह का खेल:
पार्टी में टिकट के लिए इतनी ज़बरदस्त गुटबाजी और कलह मची हुई है कि अगर किसी को टिकट मिल भी गया, तो उसे बाकी दावेदारों की ‘अंतर-कलह’ का सामना करना पड़ेगा। अब जब मारांडी कमेटी में एक-आध को छोड़ लगभग सभी टिकट के दावेदार बन गए हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि इस ‘प्यारी’ गुटबाजी का अंत किसे टिकट मिलता है और किसे ‘लड्डू’।

सरकार बनाने का सपना देख रहे ये नेता अब अपनी ही पार्टी के अंदर ‘जंग’ लड़ने में व्यस्त हैं। ऐसी स्थिति में झारखंड की जनता भी सोच में पड़ गई है कि वे किस ‘महान’ नेता को चुनें, जो चुनावी मैदान में आकर असली लड़ाई लड़ने की हिम्मत रखता हो।

ये भी लड़ना चाहते हैं चुनाव :
1. अजय राय – प्रदेश कार्यालय मंत्री (दुमका)
2. शिवपूजन पाठक – प्रदेश मीडिया प्रभारी (देवघर)
3. अनिल सिंह – सोशल मीडिया प्रमुख (चतरा)
4. अंबुज शर्मा – प्रदेश उपाध्यक्ष (गोड्डा)
5. श्रीकांत मिश्रा – प्रदेश मंत्री (गिरिडीह)
6. अंजनी कश्यप – प्रदेश मंत्री (हजारीबाग)
7. मनोज चौधरी – प्रदेश मंत्री (धनबाद)
8. शैलेन्द्र सिंह – प्रदेश उपाध्यक्ष (जमशेदपुर पश्चिम)
9. हेमंत पाठक – प्रदेश मंत्री (जमशेदपुर पूर्व)
10. धर्मेंद्र कुमार – युवा मोर्चा प्रदेश मंत्री (पलामू)
11. आदित्य नारायण सिंह – अनुसूचित जनजाति मोर्चा प्रदेश मंत्री (गुमला)
12. जयप्रकाश सिंह – मछुआरा प्रकोष्ठ प्रदेश मंत्री (लोहरदगा)
13. आनंद सिंह – प्रदेश मंत्री (सिमडेगा)
14. दिनेश शर्मा – प्रदेश मंत्री (रांची)
15. संतोष अग्रवाल – प्रदेश उपाध्यक्ष (खूंटी)
16. कुमार कुमार सिंह – प्रदेश मंत्री (लातेहार)
17. लक्ष्मी नारायण दुबे – किसान मोर्चा प्रदेश मंत्री (साहेबगंज)
18. देव कुमार भट्ट – प्रदेश मंत्री (पाकुड़)

 

SARANSH NEWS

By Admin

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