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घोड़ाबंधा जलापूर्ति योजना में नये कनेक्शन की बढ़ी उम्मीदें, मंत्री रामदास सोरेन के सामने बड़ी चुनौती।
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घोड़ाबंधा जलापूर्ति योजना की लंबित समस्या साबित होगी राजनीतिक चुनौती।
झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं. हेमंत कैबिनेट के मंत्री और पूर्व CM चंपाई सोरेन के इस्तीफे के बाद घाटशिला से विधायक और पूर्वी सिंहभूम के जिलाध्यक्ष Ramdas Soren को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी। रामदास सोरेन को उच्च शिक्षा मंत्रालय के साथ-साथ जल संसाधन विभाग की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।
क्या रामदास सोरेन कर पाएंगे अर्जुन मुंडा के Dream Project का विस्तार?
Ramdas Soren के मंत्री बनने के साथ ही, अब सभी की निगाहें उनके गृह क्षेत्र घोड़ाबंधा की ओर हैं। जहां पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के ड्रीम प्रोजेक्ट “घोड़ाबंधा जलापूर्ति योजना” का विस्तार किया जाना अभी तक लंबित है। इस योजना का संचालन झारखंड सरकार की पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा टाटा स्टील की यूटिलिटी कंपनी TSUIL (पूर्व में जुस्को) को सौंपा गया था। लेकिन, वर्ष 2017 से ही इस योजना के तहत नये पेयजल कनेक्शन पर रोक लगी हुई है। TSUIL का तर्क है कि उन्हें जितनी क्षमता का जलापूर्ति करने का टेंडर प्राप्त है, वे उतना ही कर रहे हैं। झारखंड सरकार द्वारा स्टोरेज और आपूर्ति क्षमता में विस्तार होने पर ही नये कनेक्शन दिए जा सकते हैं।
स्थानीय निवासियों की बढ़ती उम्मीदें और भाजपा- AJSU का बढ़ता दबाव
घोड़ाबंधा जलापूर्ति योजना के तहत पश्चिमी, पूर्वी और उत्तरी घोड़ाबंधा पंचायत के लगभग 1000 से अधिक नये उपभोक्ता पेयजल कनेक्शन की प्रतीक्षा में हैं। स्थानीय BJP नेता अंकित आनंद, अधिवक्ता राजन प्रसाद, और अन्य ने इस मुद्दे को लेकर कई स्तर पर पत्राचार किया, लेकिन समाधान नहीं हो सका। यहां तक कि जमशेदपुर लोक अदालत में याचिका दायर करने के बावजूद न्याय में देरी हो रही है।
वहीं, जुगसलाई के स्थानीय विधायक मंगल कालिंदी ने भी इस मामले को लेकर विभागीय मंत्री से कई बार चर्चा की, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नजर नहीं आ रही है। चुनाव नजदीक होने के बावजूद इस समस्या का हल ना निकलना स्थानीय निवासियों के बीच निराशा का कारण बना हुआ है।
रामदास सोरेन की अग्नि-परीक्षा…
चार दिन पहले ही मंत्री बने Ramdas Soren के लिए घोड़ाबंधा का जल संकट एक गंभीर चुनौती होगा। स्थानीय निवासी होने के नाते उनके ऊपर इस मुद्दे का हल निकालने का दबाव भी अधिक है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रामदास सोरेन, जो जल संसाधन विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, घोड़ाबंधा के निवासियों को नये पेयजल कनेक्शन दिलवाने में सफल होते हैं या नहीं।
चुनावी वर्ष में जल संकट का समाधान न कर पाना न सिर्फ मंत्री रामदास सोरेन के लिए बल्कि हेमंत सोरेन सरकार के लिए भी एक बड़ी राजनीतिक चुनौती साबित हो सकता है। अब यह देखना बाकी है कि नवनियुक्त मंत्री इस अग्नि परीक्षा में कैसे खरे उतरते हैं।
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