Jharkhand की राजनीति में दो टाइगर: चंपाई सोरेन और जयराम महतो के गठजोड़ से क्या खत्म होगा कथित ‘जंगलराज’?
Jharkhand की राजनीति में इन दिनों एक नया समीकरण उभरता दिख रहा है, जिसे ‘टाइगर जोड़ी’ के नाम से पुकारा जा सकता है। 90 के दशक की सुपरहिट फिल्म ‘सौदागर’ का गाना “इमली का बूटा बेरी का पेड़, इमली खट्टी मीठे बेर…इस जंगल में हम दो शेर,चल घर जल्दी हो गई देर… ” इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर ट्रेंड कर रहा है, और इसके बोल झारखंड की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर बिल्कुल सटीक बैठते हैं। इस गीत की जुगलबंदी को अगर ध्यान से देखा जाए, तो यह राज्य के दो प्रमुख नेताओं—कुडमी समाज के नवोदित युवा नेता जयराम महतो और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के खिलाफ बगावत करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन—की ओर इशारा करता है।
‘टाइगर’ की पहचान: जयराम महतो और चंपाई सोरेन
जयराम महतो, जिन्हें उनके समर्थक ‘टाइगर’ के नाम से जानते हैं, झारखंड की राजनीति में एक उभरते हुए नेता के रूप में उभरे हैं। दूसरी ओर, चंपाई सोरेन, जो कोल्हान क्षेत्र में झामुमो के सबसे पुराने और मजबूत स्तंभ रहे हैं, ने हाल ही में JMM से नाराजगी के चलते पार्टी से बगावत कर दी है। चंपाई ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट के माध्यम से अपनी राहें अलग करने की घोषणा की और अब वे एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने की तैयारी में हैं।
आपको बता दें कि जहां अन्य लोगों का दावा था कि चंपाई भाजपा में शामिल हो सकते हैं, वहीँ Saranshnews.com ने चंपाई को झारखण्ड का ‘एकनाथ’ बताते हुए JMM पार्ट-2 बनाने की संभावना व्यक्त की थी।
आदिवासी वोट बैंक और नए राजनीतिक समीकरण
झारखंड की राजनीति में आदिवासी वोट बैंक हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाता आया है। चंपाई सोरेन, जो आदिवासी समुदाय के एक प्रमुख नेता हैं, की बगावत ने झामुमो के लिए संकट की स्थिति पैदा कर दी है। दूसरी ओर, जयराम महतो, जो कुडमी समाज के लिए संघर्ष कर रहे हैं, को भी एक मजबूत सहयोगी की तलाश है। ऐसे में अगर ये दोनों नेता एक मंच पर आते हैं, तो झारखंड की राजनीति में बड़ा बदलाव हो सकता है।
क्या दोनों टाइगर मिलकर करेंगे ‘जंगलराज’ का अंत?
झारखंड की राजनीति में अक्सर ‘जंगलराज’ का जिक्र होता है, जो असुरक्षित और अराजक शासन की ओर इशारा करता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या चंपाई सोरेन और जयराम महतो, दोनों टाइगर मिलकर इस कथित ‘जंगलराज’ का अंत कर सकते हैं? राजनीतिक जानकारों की मानें तो चंपाई सोरेन के बागी तेवर और नई पार्टी बनाने के ऐलान ने जयराम महतो को एक नए गठबंधन साथी की उम्मीद दी है।
राजनीतिक भविष्य: एक नया अध्याय?
झारखंड की राजनीति में चंपाई सोरेन और जयराम महतो का गठबंधन एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत कर सकता है। अगर यह गठजोड़ सफल होता है, तो राज्य में आदिवासी वोट बैंक की दिशा और राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये दोनों नेता, जो अपने-अपने क्षेत्र में ‘टाइगर’ कहलाते हैं, क्या वाकई झामुमो गठबंधन के कथित ‘जंगलराज’ को खत्म करने के लिए एक मंच पर आते हैं या नहीं।
झारखंड की राजनीतिक हलचल में यह नया मोड़ राज्य की जनता के लिए क्या नए अवसर लेकर आएगा, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन एक बात साफ है, आने वाले चुनावों में इस ‘टाइगर जोड़ी’ पर सबकी नजरें जरूर टिकी रहेंगी।
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