झारखंड हाईकोर्ट ने पेयजल और स्वच्छता विभाग में अनुबंध पर कार्यरत कर्मियों को हटाने और उनकी जगह आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले में जल्द से जल्द जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन के तहत ब्लॉक स्तर के समन्वयकों को हटाकर उनकी जगह आउटसोर्सिंग के माध्यम से नई नियुक्तियां करने का आदेश 16 सितंबर को जारी किया गया था। इस आदेश के खिलाफ राम किशुन और अन्य प्रभावित कर्मियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस डी.एस. पाठक की अदालत ने मामले की सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अनुबंध कर्मियों को बिना किसी ठोस कारण के हटाना अनुचित है क्योंकि इससे उनकी आजीविका प्रभावित होगी। याचिकाकर्ताओं के वकील नवीन कुमार ने तर्क दिया कि यह फैसला अनावश्यक है और इससे कर्मियों की रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा।
कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए सरकार के आदेश पर रोक लगाई और स्थिति स्पष्ट करने के लिए तुरंत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
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