एकादशी-कब-है.

योगिनी एकादशी कब है?

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की पहली एकादशी तिथि की शुरुआत 1 जुलाई 2024 को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 2 जुलाई 2024 को सुबह 8 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 2 जुलाई 2024 को योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

Shree Vishnu Mantra

 

Yogini Ekadashi  हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण उपवास का दिन है, जो आषाढ़ (जून-जुलाई) महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने से पापों का नाश होता है और आत्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

योगिनी एकादशी का महत्व

  1. आध्यात्मिक शुद्धिकरण: योगिनी एकादशी के दिन उपवास रखने से आत्मा पापों से मुक्त होती है। यह एकादशियों में सबसे शक्तिशाली मानी जाती है, जो पापों के प्रभाव को समाप्त करती है।
  2. स्वास्थ्य लाभ: योगिनी एकादशी का उपवास शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्पष्टता में सुधार लाने में सहायक होता है। उपवास के दौरान शरीर का विषहरण (डिटॉक्सिफिकेशन) होता है, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  3. कर्मिक राहत: हिंदू शास्त्रों के अनुसार, योगिनी एकादशी का पालन करने से जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिलती है, और मोक्ष प्राप्ति होती है। यह बुरे कर्मों का नाश करती है।
  4. व्रत कथा: योगिनी एकादशी से जुड़ी कथा में एक माली हेममाली का उल्लेख है, जो कुबेर नामक राजा की सेवा करता था। हेममाली के कृत्यों के कारण उसे कोढ़ का श्राप मिला और उसे पृथ्वी पर भटकने के लिए मजबूर होना पड़ा। ऋषि मार्कंडेय ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने का मार्गदर्शन दिया, जिससे उसके कष्टों का निवारण हुआ और उसे मुक्ति प्राप्त हुई।

योगिनी एकादशी का पालन

  1. उपवास के नियम: भक्त एकादशी के दिन सूर्योदय से अगले दिन (द्वादशी) के सूर्योदय तक कठोर उपवास करते हैं। कुछ लोग अन्न और जल का त्याग करते हैं, जबकि अन्य केवल फल और दूध का सेवन करते हैं।
  2. अनुष्ठान:
    • पूजा: भक्त सुबह जल्दी उठते हैं, स्नान करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। फूल, धूप, और दीपक जलाने की प्रथाएं आम होती हैं।
    • मंत्र और प्रार्थना: विष्णु सहस्रनाम (भगवान विष्णु के हजार नाम) और अन्य प्रार्थनाओं का पाठ करना महत्वपूर्ण होता है।
    • दान: अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना शुभ माना जाता है और इससे आध्यात्मिक लाभ बढ़ता है।
  3. व्रत का पारण: अगले दिन (द्वादशी) को उपवास तोड़ा जाता है, जिसमें एक विशेष विधि और ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन कराने के बाद भोजन किया जाता है। उपवास तोड़ने का उचित समय स्थानीय पंचांग (हिंदू कैलेंडर) में निर्दिष्ट होता है।

निष्कर्ष

योगिनी एकादशी एक शक्तिशाली व्रत है जो आत्मिक शुद्धिकरण, स्वास्थ्य लाभ, और कर्मिक राहत प्रदान करता है। यह दिन भक्ति, उपवास, और दान के कार्यों से चिह्नित होता है, जो आत्मिक यात्रा और दिव्य से संबंध को बढ़ाने के उद्देश्य से होते हैं।

जो लोग अपनी आध्यात्मिक प्रैक्टिस को गहरा करना चाहते हैं, उनके लिए योगिनी एकादशी का पालन एक परिवर्तनकारी अनुभव हो सकता है, जो शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।

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