Jamshedpur : झारखंड सरकार के मंत्री रामदास सोरेन के भाई राम सोरेन के आवेदन पर 2016-17 में दायर भू-वापसी कांड संख्या 01/16-17 के तहत जमशेदपुर DCLR न्यायालय ने टेल्को खड़ंगाझार के कार्तिक नगर, और बारीनगर क्षेत्र के 34 घरों और एक मंदिर को नोटिस जारी किया है। संभावना जताई जा रही है कि बस्ती के इन घरों और मन्दिर पर जल्द ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई हो सकती है। इस नोटिस के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है, और लोग इस मुद्दे पर सवाल उठा रहे हैं।
जमशेदपुर के भूमि सुधार उप समाहर्ता (DCLR) न्यायालय ने 34 लोगों को नोटिस जारी करते हुए निर्देश दिया है कि वे 26 सितंबर 2024 (आज ही) को दोपहर 12:30 बजे अदालत में उपस्थित होकर अपने बचाव में कारण पृच्छा दाखिल करें। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह नोटिस उन्हें एक दिन पूर्व मिली है। इस नोटिस में प्रतिवादियों को स्वयं या अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया गया है, अन्यथा न्यायालय पूर्व में प्राप्त जाँच रिपोर्ट और राजस्व दस्तावेज के आधार पर एकतरफा निर्णय ले सकती है।
इस नोटिस ने खड़ंगाझार के कार्तिक नगर और बारीनगर के निवासियों के बीच हड़कंप मचा दिया है। कई हिंदू और मुस्लिम परिवारों को नोटिस भेजा गया है, जिनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं – रामकला देवी, धर्मानंद शर्मा, रघुनंदन शर्मा, मिथलेश प्रसाद, परमा प्रसाद, इंदिरा देवी, गनेश प्रसाद, जावेद अख्तर, रामु गोनकर, मन्दिर और कई अन्य के नाम शामिल हैं। नोटिस में एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि संतोषी मंदिर को भी अतिक्रमण के रूप में दिखाया गया है, जिसे लेकर धार्मिक संगठनों और स्थानीय लोगों के बीच नाराजगी है। लोगों का कहना है कि मंदिर को हटाने की नोटिस हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है कुकृत्य है।
गौरतलब है कि इस मामले में वादी राम सोरेन, जो मंत्री रामदास सोरेन के भाई हैं, ने वर्ष 2016 में अतिक्रमण हटाने के लिए न्यायालय में अर्जी दी थी। मामले को लेकर बस्ती में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कुछ इसे सत्ता और ताकत का दुरुपयोग बता रहे हैं, तो कुछ का मानना है कि रामदास सोरेन के मंत्री बनने के बाद उनके भाई द्वारा यह पुराना मामला फिर से उठाया गया है।
हालांकि, नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि इससे पहले भी कई तारीखें निर्धारित की गई थीं, लेकिन प्रतिवादियों ने सुनवाई में हिस्सा नहीं लिया। इस बार अनुपस्थित रहने की स्थिति में एकतरफा निर्णय लिया जा सकता है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही उक्त सभी को कब्जा मुक्त करने के आदेश जारी किये जा सकते हैं अन्यथा प्रशासन के स्तर से वहाँ अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जा सकता है। इस नोटिस के बाद से बस्ती में डर का माहौल है और लोग भयभीत हैं कि यदि उन्हें न्यायालय में सही ढंग से पेश होने का अवसर नहीं मिला, तो उनके घरों और धार्मिक स्थलों पर बुलडोजर चल सकता है।
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