चुनाव से पहले गंदी राजनीति का खेल : मंत्री Banna Gupta के खिलाफ़ फर्जी यौन शोषण का आरोप वायरल, फर्जी FIR का खुलासा
झारखंड में चुनावी सरगर्मियों के बीच राजनीतिक गंदगी अपने चरम पर है। इस बार शिकार बने राज्य के मंत्री Banna Gupta, जिनके खिलाफ एक फर्जी यौन शोषण की शिकायत वायरल हो गई। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस फर्जी FIR आवेदन में मंत्री पर गंभीर आरोप लगाए गए, लेकिन सारांश न्यूज़ के फैक्ट चेक में कई खामियां उजागर हुईं, जो यह साबित करती हैं कि यह शिकायत एक सुनियोजित राजनीतिक साजिश है।
फर्जी FIR में ये 7 खामियां आई सामने
सारांश न्यूज़ ने वायरल FIR की सच्चाई जानने के लिए गहराई से जांच की, जिसमें ये प्रमुख खामियां पाई गईं :-
1. गलत नाम और मुहर : आवेदन में रांची सिटी एसपी का नाम “प्रभात कुमार” लिखा है, जबकि सच्चाई यह है कि रांची के सिटी एसपी राजकुमार मेहता हैं। प्रभात कुमार, पाकुड़ के एसएसपी हैं।
2. SP का नाम और सिग्नेचर : आवेदन में प्रभात कुमार का हस्ताक्षर है, लेकिन रांची सिटी एसपी ऑफिस का मुहर लगा हुआ है, जो संदेह पैदा करता है।
3. तथ्यात्मक गलती : शिकायत में जांच के लिए सब-इंस्पेक्टर प्रभात कुमार का नाम दिया गया, लेकिन बाद में लिखा गया है कि जांच सिटी एसपी स्वयं करेंगे। यह असंभव है, क्योंकि एसपी खुद जांच नहीं करते, सिर्फ सुपरवाइज करते हैं।
4. संपर्क जानकारी की कमी : शिकायतकर्ता का आधार कार्ड और मोबाइल नंबर नहीं है, बल्कि एक लैंडलाइन नंबर का जिक्र किया गया है, जो संदिग्ध है।
5. केस दर्जी में गड़बड़ी : वायरल FIR में केस संख्या एसपी ऑफिस में दर्ज बताई गई है, जबकि कानून के अनुसार एसपी ऑफिस में FIR दर्ज नहीं हो सकती, यह काम थाने का होता है।
6. धाराओं में गड़बड़ी : आवेदन में आईपीसी की धाराओं का उल्लेख किया गया है, जबकि अब BNS (भारतीय न्याय संहिता) के तहत केस दर्ज किया जाता है।
7. थाने की गलत जानकारी : शिकायत में तमाड़ थाना क्षेत्र का जिक्र है, जो रांची ग्रामीण एसपी के अधीन आता है, लेकिन FIR में सिटी एसपी ऑफिस की मुहर लगी है, जो एक बड़ा झोल है।
राजनीतिक विरोधियों की साजिश
मंत्री Banna Gupta के मीडिया प्रतिनिधि संजय ठाकुर ने इस मामले को लेकर इसे एक राजनीतिक साजिश बताया। उन्होंने कहा, “चुनाव नजदीक है, इसलिए मंत्री जी के चरित्र हनन के लिए फर्जी FIR का सहारा लिया गया है। जो लोग इसे वायरल कर रहे हैं, वे उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं और इस फर्जी मामले से चुनावी फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।” संजय ठाकुर ने बताया की इस मामले को लेकर मंत्री बन्ना गुप्ता के कार्यालय की ओर से जल्द ही दुष्प्रचार करने वालों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई जायेगी।
फर्जी खबर वायरल करने वाले यूट्यूबर की माफी
सिर्फ सोशल मीडिया तक ही नहीं, यह फर्जी FIR कुछ यूट्यूब चैनलों पर भी सनसनीखेज ढंग से प्रस्तुत की गई। पूर्व मंत्री सरयू राय के करीबी माने जाने वाले यूट्यूबर आनंद कुमार ने अपने चैनल “जन मन की बात” पर इस खबर को ब्रेक किया, लेकिन जल्दी ही उसे डिलीट कर माफी मांगी। इससे यह स्पष्ट होता है कि चुनावी माहौल में ऐसी फर्जी खबरें फैलाकर किसी खास को राजनीतिक फायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
वरिष्ठ पत्रकार ने उठाए सवाल
रांची के वरिष्ठ पत्रकार और प्रेस क्लब के पदाधिकारी रह चुके अखिलेश सिंह ने भी इस फर्जी FIR और घटिया राजनीतिक चालों पर चिंता जताई है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “झारखंड चुनाव आते ही राजनीति करने वालों की गंदगी शुरू हो गई। फर्जी FIR के जरिए चरित्र हनन करना घृणित है।” सिंह ने गिरते राजनीतिक स्तर पर गहरी चिंता व्यक्त की।
सारांश न्यूज़ का निष्कर्ष
झारखंड में चुनावी माहौल में ऐसे फर्जी मामलों का वायरल होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार के मामले में जिस तरह से फर्जी FIR का सहारा लिया गया, उससे यह स्पष्ट है कि राजनीतिक विरोधियों के बीच की जंग अब चरित्र हनन तक पहुंच गई है।
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