India's stand over Palestine flag: भारत में फिलिस्तीन के झंडे पर विवाद, जानिए कारण और कानूनी पहलू...
India’s stand over Palestine flag: जगह-जगह मुहर्रम में फिलिस्तीन का झंडा लहराने से देश में तनाव की स्थिति बनी हुई है. ऐसा इसलिए क्यूंकि भारत में इस मुद्दे को लेकर दो पक्ष अपनी अलग-अलग राय रखता है.
इन सब के बीच सवाल यह खड़ा होता है कि क्या भारत फिलिस्तीन को अपना दुश्मन समझता है ? अगर हाँ, तो फिर भारत सरकार इस सालUNRWAके ज़रिये फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए 50 लाख डॉलर की मदद क्यों कर रही है ? और दूसरी बात यह कि भारत ने कहीं भी फिलिस्तीन को अपना दुश्मन कह कर सम्बोधित नहीं किया है.
तो फिर क्यों एक पक्ष दूसरे पक्ष का विरोद कर रहा है ? आखिर झंडा फहराहना गलत क्यों ? अगर गलत है तो दूसरा पक्ष सामूहिक रूप से इसके समर्थन में क्यों है ? सवाल बहुत सारे हैं. परआज इन सवालो के जवाबों को हम जानने की कोशिश करेंगे.
पहले आपको बता दें कि फिलिस्तीन का एक पक्ष समर्थन कर क्यों रहे है. फिलिस्तीन के समर्थकों का ऐसा मानना है कि फिलिस्तीन ने जो भी इज़राइल के साथ किया वो सब धार्मिक तौर पर सही है. बल्कि दूसरे पक्ष का ऐसा मानना है कि फिलिस्तीन के आतंकियों ने इजराइल के साथ जो किया वो मानवीय रूप से गलत था और इन कृत्यों का समर्थन हमास के आतंकियों को बढ़ावा देना है.
भले ही फिलिस्तीन को भारत ने दुश्मन देश ना माना हो पर इजराइल को भारत ने अपना मित्र कह कर कई बार सम्बोधित किया है. और किसी ऐसे देश, जो एक आतंकी संगठन का सम्मान करती है, ज़ाहिर तौर पर उससे अच्छा वो देश होता है जो आपके देश का मित्र हो. और आपके मित्र के साथ दुराचार या दुर्व्यवहार करने वाले हमास समर्थक फिलिस्तीन का समर्थन कैसे किया जा सकता है?
क्या सही और क्या गलत ? इसका निर्णय आपके हाथो में है. लोकतान्त्रिक देश में आप खुलकर अपने विचारों का चुनाव कर सकते है. पर हाँ लोकतंत्र में जब आप अपने विचारों को सामूहिक तौर पर रखते हैं तो आपको इसका भी ध्यान रखना ज़रूरी हैे कि आप किसी भी समूह की संवेदना को ठेस ना पहुँचा रहे हो. अगर ऐसा हुआ तो आप भारत की एकता और अखंडता को ठेस पंहुचा रहे होते हैं. और यह अलगाववादी नीति के अंतर्गत आता है जिसके तहत आपको कानूनी प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ सकता है.
BNS की धारा 197: दो उपधाराओं का प्रावधान
धारा 197 (1):
इस उपधारा के अनुसार, कोई व्यक्ति अगर मौखिक, लिखित, संकेतों, या वीडियो द्वारा भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा नहीं दिखाता या भारत की प्रभुता और अखंडता को अक्षुण्ण नहीं रखता, तो उसे दोषी माना जाएगा। इस तरह के कार्य के लिए तीन साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है।
धारा 197 (2):
इस उपधारा में यह प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति उपधारा (1) में उल्लिखित अपराध किसी पूजा स्थल में या धार्मिक अनुष्ठान के दौरान करता है, तो उसे दोषी माना जाएगा। ऐसे मामले में दोषी को पांच साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, भदोही में जुलूस के दौरान फिलिस्तीन का झंडा फहराने पर इसी धारा के तहत दो लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उन्हें पांच साल की जेल और जुर्माना हो सकता है।
भारतीय न्याय संहिता 2023: धारा 152
धारा 152 के मुख्य बिंदु:
जानबूझकर या जानबूझकर कार्य:
बोले गए या लिखित शब्दों द्वारा।
संकेतों या दृश्य प्रतिनिधित्व द्वारा।
इलेक्ट्रॉनिक संचार या वित्तीय साधनों के उपयोग से।
अन्य किसी भी माध्यम से।
अपराध के प्रकार:
अलगाव या सशस्त्र विद्रोह को भड़काना या भड़काने का प्रयास करना।
विध्वंसक गतिविधियों को उत्तेजित करना।
अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करना।
भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालना।
सजा का प्रावधान:
दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास या सात साल तक की कैद की सजा।
साथ ही, जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
स्पष्टीकरण:
कानूनी तरीकों से सरकार के उपायों या प्रशासनिक कार्रवाई की अस्वीकृति व्यक्त करने वाली टिप्पणियाँ, जब तक वे हिंसक या विध्वंसक गतिविधियों को उत्तेजित नहीं करतीं, अपराध नहीं मानी जाएंगी।
धारा 152 के लिए संक्षिप्त बिंदु:
धारा 152: जानबूझकर बोले गए या लिखित शब्दों, संकेतों, दृश्य प्रतिनिधित्व, इलेक्ट्रॉनिक संचार या वित्तीय साधनों से अलगाव, सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक गतिविधियों को भड़काना अपराध है।
सजा: दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास या सात साल तक की कैद और जुर्माना।
स्पष्टीकरण: सरकार की कानूनी अस्वीकृति, जब तक वे हिंसक गतिविधियों को प्रोत्साहित नहीं करतीं, अपराध नहीं।