जमशेदपुर : कदमा थाना प्रभारी संजय सुमन और उनके अधीनस्थ कर्मियों की कार्रवाईयों पर अब सवाल उठने लगे हैं, और वो भी सीधे अदालत से। लगातार दूसरे दिन पूर्व आजसू नेता Munna Singh की गिरफ्तारी के बाद न्यायालय ने कदमा थाना की कानूनी प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वरीय अधिवक्ता प्रकाश झा, रंजन बरियार एवं लगभग एक दर्जन अधिवक्ता मुन्ना सिंह की ओर से पैरवी कर रहे थे। अधिवक्ता की दलीलों के बाद अदालत ने थाना से पूछा कि “क्या यही है Rule of Law?” आज न्यायलय ने बिना PR Bond के ही रिलीज़ कर दिया।
लगातार दूसरे दिन कदमा पुलिस की न्यायालय में भद्द पिट गई
कोर्ट से विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि Munna Singh को बुधवार को बॉन्ड पर रिहा करने के बाद, गुरुवार सुबह थाना ने उन्हें कदमा थाना आने को कहा और वहीं Detain कर लिया। काग़ज़ में गिरफ्तार दर्शा कर उन्हें आज दोपहर फ़िर से मेडिकल परीक्षण कराने के बाद जमशेदपुर कोर्ट में पेश किया गया। इस बार आरोप था कि Munna Singh ने शिकायतकर्ता महिला को धमकी दी थी। पर सवाल ये उठता है कि क्या धमकी के आरोपों की जांच कब हुई? जाँच में क्या तथ्य सामने आये? क्या कदमा पुलिस को किसी भी व्यक्ति के खिलाफ फर्ज़ी मुकदमा दर्ज करने और व्यक्तिगत कुंठा शांत करने का ‘अधिकार पत्र’ मिल गया है?
एक केस, दो बार गिरफ्तारी – पुलिस का नया खेल
मामले की पृष्ठभूमि बताती है कि Munna Singh पर कदमा अंतर्गत भाटिया बस्ती की एक आदिवासी महिला और उसकी बेटी के साथ कथित तौर पर मारपीट और जातिसूचक अपशब्द कहने का आरोप लगाया गया था। मामला तब बड़ा बना जब CCTV फुटेज वायरल हुआ और राजनीतिक दबाव के चलते उनकी गिरफ्तारी हुई। कोर्ट ने बीते कल ही बॉन्ड पर उन्हें रिहा किया, लेकिन कदमा पुलिस का ‘EGO’ शांत नहीं हुआ। Munna Singh को जेल भेजने की जल्दबाजी में कदमा थाना प्रभारी संजय सुमन और केस अनुसंधान पदाधिकारी ने आम जनता के बीच जमशेदपुर पुलिस के प्रति विश्वसनीयता को कमज़ोर कर दिया है।
कोर्ट ने दुबारा गिरफ्तार कर लाये गये Munna Singh के मामले में कदमा थाना की इस एकतरफा कार्रवाई पर नाराज़गी जाहिर करते हुए पुलिस को जमकर फटकार लगाई है और कहा कि यह पुलिस द्वारा विधिक शक्तियों का दुरुपयोग है। न्यायलय ने लगातार दूसरे दिन पूर्व आजसू नेता मुन्ना सिंह उर्फ़ बृजेश सिंह को रिहा कर दिया। उन्हें एक बार फिर जेल नहीं जाना पड़ा। सूत्रों के अनुसार, कदमा थाना प्रभारी को अब Show Cause नोटिस जारी कर न्यायालय में तलब किया जा सकता है।
पुलिस या राजनीतिक कार्यकर्ता, उठने लगे सवाल ?
इस प्रकरण में पिछले दो दिनों से कदमा थाना की कार्यसंस्कृति ने पुलिस के प्रति आम जनता में भरोसे को प्रभावित कर दिया है। न्यायालय ने भी चिंता जताई कि कदमा पुलिस कानून के तहत काम करने के बजाय किसी राजनीतिक प्रभाव या उपरी दबाव में काम कर रही है। ऐसे में बड़ा सवाल उठ रहा है कि, क्या जमशेदपुर की पुलिस अब अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है? क्या इस प्रकरण पर DGP अनुराग गुप्ता और जिले के एसएसपी संज्ञान लेंगे ?
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