जमशेदपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिवर्तन महा रैली के बाद जमशेदपुर में भाजपा के भीतर भारी घमासान छिड़ गया है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने जिला अध्यक्ष सुधांशु ओझा समेत प्रदेश स्तरीय कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पार्टी के भीतर गुटबाजी और उपेक्षा का बोलबाला है, और कई समर्पित कार्यकर्ताओं को जानबूझकर नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।
स्पेशल पास विवाद: समर्पित कार्यकर्ता हुए उपेक्षित
पार्टी के कई समर्पित कार्यकर्ताओं ने यह आरोप लगाया है कि उन्हें परिवर्तन महारैली के दौरान स्पेशल पास तक नहीं दिया गया, जबकि पिछले चुनावों में भाजपा के विरोध में काम करने वाले लोगों को प्राथमिकता दी गई। इन लोगों को पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए खास पास भी उपलब्ध कराए गए। कार्यकर्ता बिनोद गुप्ता ने सोशल मीडिया पर इस उपेक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने फेसबुक पर अपने पोस्ट के जरिए भाजपा संगठन पर जमकर भड़ास निकाली। उनके इस पोस्ट पर कई भाजपाईयों ने भी अपनी नाराज़गी जाहिर की है।
“महिला मोर्चा को भी किया गया साइडलाइन”
भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश प्रवक्ता लक्की सिंह राजपूत ने भी अपनी नाराजगी फेसबुक पर जाहिर की। उन्होंने बिनोद गुप्ता के पोस्ट पर कमेंट करते हुए लिखा, “महिला मोर्चा की प्रवक्ता को कोई जगह नहीं मिली, जबकि पार्टी विरोधियों को विशेष सम्मान मिला। ऐसे कैसे चलेगा भाई?”
तेल लगाओ और एंट्री पाओ: रॉकी सिंह का तंज
साकची मंडल के भाजपा कार्यकर्ता रॉकी सिंह ने भाजपा जिलाध्यक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा, “तेल लगाओ और इंट्री पाओ”। उनका इशारा स्पष्ट रूप से कुछ नेताओं की चापलूसी की ओर था, जो गुटबाजी और खास लोगों को पास दिलाने में लगे थे। रॉकी सिंह ने आरोप लगाया कि पार्टी ने चेहरे देखकर पास बांटे, और समर्पित कार्यकर्ताओं को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।
पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी: अल्पसंख्यक मोर्चा ने भी उठाए सवाल
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के कार्यकर्ता मोहम्मद मोईन ने भी अपनी नाराजगी फेसबुक पर व्यक्त की। उन्होंने लिखा, “यह सब पैसों का खेल है। पैसा वाला आगे और पुराना कार्यकर्ता पीछे”। उनका इशारा भाजपा के कोषाध्यक्ष कृष्णा शर्मा उर्फ काली शर्मा की ओर था।
युवा मोर्चा और ओबीसी मोर्चा को भी किया गया दरकिनार
भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष नितीश कुशवाहा और ओबीसी मोर्चा के जिलाध्यक्ष सागर राय को भी साइडलाइन कर दिया गया। दोनों नेताओं को न तो प्रधानमंत्री से मुलाकात के लिए पास दिया गया और न ही उन्हें विशेष रूप से रैली में शामिल किया गया। वहीं, पिछले चुनावों में भाजपा विरोधी कार्यों में लिप्त कुछ लोगों को जातीय समीकरण के नाम पर पीएम मीटिंग पास जारी करवाया गया।
कार्यकर्ताओं में नाराजगी चरम पर
तेज़ बारिश में मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने जमशेदपुर को भाजपा के झंडों से सजाया, परंतु उनके योगदान को कोई महत्व नहीं दिया गया। पार्टी के भीतर चल रही इस गुटबाजी और उपेक्षा ने कार्यकर्ताओं को निराश कर दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अब इस आंतरिक कलह से निपटने के लिए क्या कदम उठाते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। कारण जो भी हो, जमशेदपुर के भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच फिलहाल केवल एक ही सवाल चल रहा है, “यह संगठन तेल से चलेगा या मेहनत से?” अब देखना दिलचप्स रहेगा की भाजपा के शीर्ष नेता इन असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को कैसे मनाते हैं।
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