Jharkhand High Court ने राज्य सरकार को दिए सख्त निर्देश
जानें क्या हैं पूरा मामला –
- Jharkhand High Court का आदेश: संताल परगना में अवैध घुसपैठियों की पहचान के लिए ‘स्पेशल ब्रांच’ का उपयोग करें।
- प्रार्थी का दावा: फर्जी आधार-वोटर कार्ड बनवाकर आदिवासी लड़कियों से शादी कर कब्जा कर रहे घुसपैठिये।
- आदिवासी जनसंख्या घटती, मुस्लिम जनसंख्या बढ़ती: 1951 से 2011 के बीच आदिवासी जनसंख्या 44.67% से घटकर 28.11% हो गई, जबकि मुस्लिम जनसंख्या 9.44% से बढ़कर 22.73% हो गई।
- सरकार की लापरवाही पर नाराजगी: छह जिलों के उपायुक्तों द्वारा जवाब दाखिल न करने पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी।
- प्रमुख सरकारी संस्थानों को नोटिस: IB, BSF, NIA, और मुख्य निर्वाचन आयुक्त को नोटिस जारी, सीलबंद रिपोर्ट का आदेश।
झारखंड हाई कोर्ट का सख्त रुख: संताल परगना में घुसपैठ की जांच के लिए ‘स्पेशल ब्रांच’ की तैनाती
झारखंड हाई कोर्ट ने संताल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान के लिए राज्य सरकार को ‘स्पेशल ब्रांच’ का उपयोग करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने घुसपैठ को बाहरी आक्रमण के रूप में देखा है, इसलिए इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
Demography में बदलाव पर कोर्ट की चिंता:
इस मामले में दायर जनहित याचिका (PIL) के दौरान, प्रार्थी दान्याल दानिश ने कोर्ट को बताया कि संताल परगना के छह जिलों – गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़, दुमका, साहिबगंज और देवघर – में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
आदिवासी जनसंख्या में भारी गिरावट:
1951 से 2011 के बीच संताल परगना में आदिवासी जनसंख्या 44.67% से घटकर 28.11% रह गई, जबकि मुस्लिम जनसंख्या 9.44% से बढ़कर 22.73% हो गई। यह आंकड़े demography में हो रहे गंभीर बदलाव की ओर इशारा करते हैं, जिससे कोर्ट ने चिंता जताई है।
फर्जी दस्तावेजों से घुसपैठ:
दानिश के अनुसार, बांग्लादेशी घुसपैठिए फर्जी आधार और वोटर कार्ड बनवा रहे हैं और आदिवासी लड़कियों से शादी कर उनकी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि संताल परगना में आधार और वोटर कार्ड का औचक निरीक्षण कर सत्यापन किया जाए, ताकि अवैध घुसपैठियों की पहचान हो सके।
सरकारी लापरवाही पर कोर्ट की फटकार:
देवघर, दुमका, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ और जामताड़ा के उपायुक्तों द्वारा पूर्व निर्देश के बावजूद जवाब दाखिल न करने पर कोर्ट ने राज्य सरकार पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि इतने संवेदनशील मुद्दे पर अब तक जवाब न आना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
उच्चस्तरीय एजेंसियों को किया गया प्रतिवादी:
इस मामले में कोर्ट ने इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), सीमा सुरक्षा बल (BSF), मुख्य निर्वाचन आयुक्त, यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIAI), और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को प्रतिवादी बनाया है। साथ ही, इन्हें नोटिस जारी कर अगली सुनवाई में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, आईबी को सीलबंद रिपोर्ट पेश करने का आदेश भी दिया गया है।
इस मामले में कोर्ट की सख्ती ने राज्य सरकार को जागरूक किया है, और अब संताल परगना में अवैध घुसपैठियों की पहचान के लिए कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।