Jharkhand :
झारखंड की स्थापना 2000 में बिहार से अलग कर विकास के उद्देश्य से की गई थी। हालांकि, अपने समृद्ध खनिज संसाधनों के बावजूद यह राज्य आज भी गरीबी से जूझ रहा है। नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि झारखंड की 23.3% आबादी मल्टी-डायमेंशनल गरीबी में जीवन यापन कर रही है। यहां का वेस्ट सिंहभूम और साहिबगंज जैसे जिले तो 45% से ज्यादा गरीबी दर का सामना कर रहे हैं।
1947 में लागू हुई फ्रेट इक्वलाइजेशन पॉलिसी से राज्य की माइनिंग इंडस्ट्री पर गहरा असर पड़ा, जिससे आर्थिक लाभ अन्य राज्यों को मिल गया और झारखंड विकास की दौड़ में पीछे रह गया। अवैध माइनिंग पर माफिया का नियंत्रण और राजनेताओं से सांठगांठ ने भी हालात और बिगाड़ दिए।
राज्य के उद्योगों का विकास थम गया है और स्थानीय जनता को खनिज संपदा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। कोल माइंस का नेशनलाइजेशन भी असली लाभ नहीं पहुंचा पाया क्योंकि अधिकतर टेंडर सिर्फ प्रभावशाली लोगों को ही दिए गए।
झारखंड में गरीबी कम करने के लिए माफिया तंत्र पर सख्त नियंत्रण और प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता है। जब तक ये ठोस कदम नहीं उठाए जाते, झारखंड एक “Rich State Of The Poor” बना रहेगा, झारखंड की संपत्ति सिर्फ कागजों पर दिखेगी और यहां की असल जनता गरीबी के दलदल में फंसी रहेगी।
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