Jharkhand Terrorism News: आतंकवाद का नया अड्डा? जम्मू-कश्मीर के बाद अब झारखंड पर टिकी आतंकी संगठनों की नजर

Jharkhand Terrorism News: आतंकवाद का नया अड्डा? जम्मू-कश्मीर के बाद अब झारखंड पर टिकी आतंकी संगठनों की नजर

झारखंड, एक समय अपनी प्राकृतिक सुंदरता और खनिज संपदा के लिए जाना जाने वाला राज्य, अब आतंकवादियों के लिए पसंदीदा ठिकाना बनता जा रहा है। क्या हम झारखंड को एक और जम्मू-कश्मीर बनने देंगे, जहां हर मोड़ पर आतंक का साया हो? इस सवाल का जवाब जितना मुश्किल है, उतना ही जरूरी भी है। हाल के वर्षों में झारखंड में आतंकवादी गतिविधियों का बढ़ना न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।

झारखंड पर आतंकियों की नजर: क्या है कारण?

आतंकवाद का झारखंड से जुड़ाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में इन घटनाओं की संख्या में तेजी आई है। आतंकवादी संगठन झारखंड को अपना नया अड्डा बना रहे हैं, और इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:

  • भौगोलिक स्थिति: झारखंड की भू-स्थिती आतंकियों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। यहां के घने जंगल और दूर-दराज के इलाकों में छिपना आसान है, जिससे वे अपने आतंकी मंसूबों को अंजाम दे सकते हैं।
  • सामाजिक असमानता: झारखंड में गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा जैसी सामाजिक समस्याएं बहुतायत में हैं, जो युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेल रही हैं।
  • खनिज संपदा: राज्य की खनिज संपदा भी आतंकियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। इन संसाधनों का इस्तेमाल वे अपने आतंकी संगठनों के लिए धन इकट्ठा करने के लिए कर सकते हैं।

आतंकवाद का झारखंड से पुराना कनेक्शन

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब झारखंड का नाम आतंकवाद से जुड़ा है। साल 2002 में हजारीबाग के खिरगांव इलाके में दो पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया गया था। ये आतंकी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे और कोलकाता में हुए अमेरिकन सूचना केंद्र पर हमले में शामिल थे।

इसी तरह, 2012 में हजारीबाग के पगमिल मोहल्ले से तौफिक नामक आतंकी को गिरफ्तार किया गया, जिसने दिल्ली में अपने साथी की गिरफ्तारी में मदद की थी। तौफिक का कनेक्शन भी लश्कर-ए-तैयबा से था।

हाल की घटनाएं: आतंकवाद की बढ़ती धमक

हाल ही में, एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) ने झारखंड में खतरनाक आतंकी संगठन अल-कायदा के ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान 4 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया। इसके पहले, 2023 में लोहरदगा से ISIS के आतंकी फैजान की गिरफ्तारी हुई थी, जो मात्र 19 साल की उम्र में इंटरनेट के जरिए दहशत फैलाने का प्रशिक्षण दे रहा था।

इसके अलावा, जमशेदपुर से भी आतंकियों की गिरफ्तारी का लंबा इतिहास है। 2020 में गुजरात ATS ने जमशेदपुर के मानगो क्षेत्र से दाउद इब्राहिम के गिरोह के सदस्य अब्दुल माजिद कुट्टी को गिरफ्तार किया था।

क्या झारखंड बन रहा है आतंकियों का सुरक्षित ठिकाना?

झारखंड में आतंकवादियों की बढ़ती सक्रियता केवल एक संयोग नहीं है। जम्मू-कश्मीर के बाद आतंकियों ने झारखंड को अपनी गतिविधियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बना लिया है।

  • क्यों है चिंता की बात?
    1. बढ़ते हमले: आतंकियों के हमलों में वृद्धि हो रही है, जिससे राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
    2. युवाओं का कट्टरपंथ की ओर झुकाव: बेरोजगारी और सामाजिक असमानता के चलते युवा आतंकवाद की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
    3. सुरक्षा बलों की चुनौतियां: सुरक्षा बलों को आतंकियों का मुकाबला करने के लिए अधिक संसाधनों और रणनीतियों की जरूरत है।

झारखंड का भविष्य: आतंकवाद का सफाया या आतंक का गढ़?

अब सवाल यह उठता है कि क्या हम झारखंड को एक और जम्मू-कश्मीर बनने देंगे? इस सवाल का जवाब हमारे सामूहिक प्रयासों में छिपा है। अगर हम आतंकवाद को जड़ से खत्म करना चाहते हैं, तो हमें सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना होगा, सामाजिक असमानता को दूर करना होगा और युवाओं को कट्टरपंथ से बचाना होगा।

आतंकवाद को जड़ से खत्म करना जरूरी

झारखंड को आतंकियों का नया अड्डा बनने से रोकने के लिए सरकार, सुरक्षा बलों और आम जनता को एकजुट होकर काम करना होगा। आतंकवाद एक ऐसी बीमारी है, जिसे सिर्फ एकजुटता और मजबूत इच्छाशक्ति से ही खत्म किया जा सकता है।

जम्मू-कश्मीर की तरह झारखंड को भी आतंकवाद के दंश से बचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। हमें हर संभव प्रयास करना चाहिए कि यह खूबसूरत राज्य आतंकवाद के काले साये से दूर रहे।


वास्तविक घटनाओं का सारांश

  1. 2002, हजारीबाग: लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े दो पाकिस्तानी आतंकी मारे गए।
  2. 2012, हजारीबाग: लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी तौफिक की गिरफ्तारी।
  3. 2020, जमशेदपुर: दाउद इब्राहिम के गिरोह के सदस्य अब्दुल माजिद कुट्टी की गिरफ्तारी।
  4. 2023, लोहरदगा: ISIS के आतंकी फैजान की गिरफ्तारी।
  5. 2024, बीते दिनों झारखंड और राजस्थान में बड़े आतंकी छापों में 8 अल-कायदा संदिग्ध गिरफ्तार, डॉक्टर सहित, हथियार और विस्फोटक बरामद किये गए।

इससे  यह स्पष्ट होता है कि झारखंड अब आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है, और इससे निपटने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

 

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