JMM को बड़ा झटका : क्या चंपई बनेंगे Jharkhand के 'एकनाथ'?
JMM को बड़ा झटका : क्या चंपई बनेंगे Jharkhand के 'एकनाथ'?

Jharkhand की राजनीति में भूचाल: चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें, जेएमएम को बड़ा झटका?

झारखंड की राजनीति में एक बार फिर से हलचल तेज़ हो गई है। सत्ताधारी पार्टी Jharkhand Mukti Morcha (JMM) को बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें ज़ोर पकड़ रही हैं। सूत्रों के अनुसार, चंपई सोरेन दिल्ली में बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं से मुलाकात के बाद पार्टी की सदस्यता ले सकते हैं।

चंपई सोरेन की नाराजगी

चंपई सोरेन, जो कि फरवरी 2024 से जुलाई 2024 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे, ने जेएमएम के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्हें उस समय राज्य की कमान सौंपी गई थी जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जमीन घोटाले के मामले में जेल गए थे। पांच महीने के कारावास के बाद, जब हेमंत सोरेन रिहा हुए, तो उन्होंने चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया और खुद राज्य की बागडोर संभाल ली। यही घटना चंपई सोरेन की नाराजगी का कारण मानी जा रही है।

हेमंता बिस्वा शर्मा का बयान: संकेत या सतर्कता?

असम के मुख्यमंत्री और झारखंड बीजेपी के सह-चुनाव प्रभारी हेमंता बिस्वा शर्मा ने भी इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने चंपई सोरेन के कार्यकाल को उत्कृष्ट बताते हुए कहा कि उनके बारे में कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। हालांकि, हेमंता शर्मा के बयान में कहीं न कहीं एक संकेत भी था कि बीजेपी इस मुद्दे को लेकर सतर्क है और राजनीतिक शिष्टाचार का पालन कर रही है।

आगामी विधानसभा चुनाव: बीजेपी की रणनीति

झारखंड में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावी माहौल के मद्देनजर, राजनीतिक दलों में उथल-पुथल साफ़ दिखाई दे रही है। झारखंड में कुल 82 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 81 पर चुनाव होते हैं। वर्तमान में जेएमएम 27 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है और विपक्षी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। बीजेपी, जो पिछले विधानसभा चुनाव में 24 सीटें जीतने में सफल रही थी, इस बार सत्ता में वापसी की कोशिशों में जुटी है। चंपई सोरेन और लोबिन हेम्ब्रम जैसे दिग्गज नेताओं का बीजेपी में शामिल होना, पार्टी की चुनावी रणनीति में अहम भूमिका निभा सकता है।

जेएमएम की चुनौतियाँ: क्या यह बड़ा नुकसान होगा?

अगर चंपई सोरेन और लोबिन हेम्ब्रम वास्तव में बीजेपी में शामिल होते हैं, तो यह जेएमएम के लिए बड़ा झटका हो सकता है। चंपई सोरेन न सिर्फ जेएमएम के सीनियर नेता हैं, बल्कि सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से सात बार के विधायक भी हैं। 2005 से लगातार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे चंपई सोरेन का पार्टी छोड़ना जेएमएम की अंदरूनी ताकत को कमजोर कर सकता है।

क्या चंपई बनेंगे झारखण्ड के 'एकनाथ'

झारखंड की राजनीति का नया अध्याय

झारखंड की राजनीति में हर पल नए मोड़ आ सकते हैं। चंपई सोरेन और लोबिन हेम्ब्रम के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें निश्चित रूप से राज्य की राजनीतिक हवा को बदल सकती हैं। बीजेपी के लिए यह एक बड़ा फायदा हो सकता है, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों में। दूसरी ओर, जेएमएम के सामने चुनौतियाँ बढ़ती नजर आ रही हैं। राज्य की राजनीति में क्या नया मोड़ आएगा, यह देखने वाली बात होगी।

चंपई सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा: क्या इतिहास दोहराएगा महाराष्ट्र की तरह?

महाराष्ट्र में शिवसेना के भीतर जो उथल-पुथल हुई, वह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना थी जिसने राज्य की राजनीति को हिला कर रख दिया। एकनाथ शिंदे ने जिस तरह से शिवसेना और उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह किया और पार्टी को विभाजित कर दिया, वह महज एक राजनीतिक चाल नहीं थी बल्कि एक बड़ी क्रांति थी। कुछ ऐसा ही झारखंड की राजनीति में भी देखने को मिल सकता है, जहां चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के लिए खतरनाक संकेत दे रही हैं।

उद्धव ठाकरे ने 2019 में शिवसेना के मूल सिद्धांतों को त्याग कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन किया था, जिसे शिवसेना के कई नेताओं और समर्थकों ने विश्वासघात के रूप में देखा। इसी तरह, अगर चंपई सोरेन, जो जेएमएम के सीनियर नेता हैं और पार्टी के विचारधारात्मक आधार के प्रतीक माने जाते हैं, बीजेपी में शामिल होते हैं, तो यह जेएमएम के लिए एक बड़ा झटका होगा। यह संभव है कि चंपई सोरेन, एकनाथ शिंदे की तरह, पार्टी के भीतर असंतोष की भावना को भांप कर एक बड़े बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाएं।

झारखंड में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए, अगर चंपई सोरेन जेएमएम को छोड़ते हैं, तो यह न केवल पार्टी की राजनीतिक ताकत को कमजोर करेगा, बल्कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व को भी गंभीर चुनौती देगा। यह कदम जेएमएम के भीतर और राज्य की राजनीति में उसी तरह के बदलाव की शुरुआत कर सकता है, जैसा महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ हुआ था।

SARANSH NEWS

By Admin

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