झारखंड के कोल्हान क्षेत्र की लगभग एक दर्जन विकास योजनाएं वन विभाग की अनुमति के अभाव में अटकी पड़ी हैं। इनमें धालभूमगढ़ एयरपोर्ट, चाईबासा-टोंटो रोम रोड, और चांडिल-राजखरसावां लिलो ट्रांसमिशन लाइन जैसे अहम प्रोजेक्ट शामिल हैं। वन विभाग के क्लियरेंस न मिलने के कारण कार्य विभागों और वन विभाग के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
वन विभाग की आपत्ति का कारण
झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) सत्यजीत सिंह ने बताया कि कोल्हान क्षेत्र हाथियों के विचरण स्थलों और समृद्ध वनों का क्षेत्र है। परियोजनाओं को मंजूरी देते समय यह सुनिश्चित किया जाता है कि वनों और वन्य प्राणियों की सुरक्षा पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
उन्होंने स्पष्ट किया, “हमें यह देखना होता है कि वैकल्पिक भूमि पर भी वनों की सुरक्षा बनी रहे। हमारा उद्देश्य विकास कार्यों को लटकाना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि वन संरक्षण के साथ ही प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाया जाए।”
अधिकारियों के बयान और स्थिति
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वन विभाग के कड़े नियमों के कारण विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। हालांकि, वन विभाग के अनुसार, नियमों का पालन किए बिना क्लियरेंस देना संभव नहीं है।
विकास और संरक्षण में संतुलन जरूरी
जमशेदपुर के धालभूमगढ़ एयरपोर्ट और अन्य परियोजनाएं क्षेत्र की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वन विभाग का कहना है कि बिना पर्यावरणीय संतुलन के इन कार्यों को मंजूरी देना भविष्य में गंभीर समस्याएं खड़ी कर सकता है।
लंबित परियोजनाओं पर दबाव बढ़ा
वन विभाग और कार्य विभागों के बीच तालमेल की कमी से विकास कार्यों की गति धीमी हो रही है। सभी पक्षों का मानना है कि बातचीत और योजनाबद्ध तरीके से ही इन समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है।
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