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बहरागोड़ा विधानसभा में Kunal Sarangi की नई सियासी पारी, क्या निर्दलीय चुनाव की है तैयारी ?
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पिछले चुनावों के आंकड़ों से बदलते समीकरणों का विश्लेषण
पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में चुनावी हलचल एक बार फिर तेज हो गई है, जहां राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं जोरों पर हैं। इस बार की सबसे दिलचस्प बात यह है कि भाजपा से इस्तीफा देने वाले कुणाल सारंगी अब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने “बदला नहीं, बदलाव” के नारे के साथ ‘पुनर्निर्माण संकल्प यात्रा’ का ऐलान किया है, जिससे राजनीतिक माहौल और गरमा गया है। पुनर्निर्माण संकल्प यात्रा 8 सितम्बर से शुरू होकर 28 सितम्बर तक बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न पंचायतो में चलेगी। आज कुणाल सारंगी ने इस यात्रा सम्बंधित Roadmap सोशल मीडिया पर सार्वजानिक किया। बहरागोड़ा विधानसभा सीट पर पिछले दो विधानसभा चुनावों में दिलचस्प मुकाबले हुए हैं। 2014 के चुनाव में, Kunal Sarangi ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के टिकट पर चुनाव लड़ा था और उन्हें जीत हासिल हुई थी। लेकिन 2019 के चुनाव में, भाजपा के टिकट पर लड़ते हुए, उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। उन्हें झामुमो के समीर मोहंती ने लगभग 60,000 वोटों के बड़े अंतर से हराया था।
2019 के विधानसभा चुनाव में:
- समीर मोहंती (झामुमो): 1,15,000 वोट
- कुणाल सारंगी (भाजपा): 55,000 वोट
इस भारी अंतर ने स्पष्ट कर दिया था कि कुणाल सारंगी को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ेगा। उनके पार्टी छोड़ने और निर्दलीय लड़ने की योजना भी इस परिप्रेक्ष्य में देखी जा सकती है।
Kunal Sarangi के लिए लोकसभा चुनाव 2024 भी एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम रहा। भाजपा के टिकट पर सांसद बनने की इच्छा पाले कुणाल को जब BJP से टिकट नहीं मिला, तो उन्होंने उपेक्षा और अपमान का आरोप लगाकर पहले पद और फ़िर चुनाव के कुछ दिनों बाद में पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इस निर्णय ने उनके राजनीतिक जीवन को एक नया मोड़ दिया और उन्होंने बहरागोड़ा विधानसभा सीट पर फिर से ध्यान केंद्रित कर लिया। फिलहाल कुणाल का ध्यान बिल्कुल धनुर्धर अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य ‘बहरागोड़ा’ पर टिकी हुई है। कुणाल सारंगी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर भी बदलाव यात्रा संबंधित जानकारी साझा करते हुए इसे पोस्ट किया है।
तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं,
मैं गिरा तो मसअला बन कर खड़ा हो जाऊँगा ll
मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र,
रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा … – वसीम बरेलवी #बदला_नहीं_बदलाव #TogetherWeCan #LehraDo #बहरागोड़ा_विधानसभा pic.twitter.com/YeyzXeCbF5— Kunal Sarangi 🇮🇳 (@KunalSarangi) September 3, 2024
कुणाल सारंगी ने हाल ही में बहरागोड़ा क्षेत्र में लगातार दौरे शुरू किए हैं और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर वे एक आध मौकों पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पक्ष में समर्थन जताते रहे हैं, जिससे अटकलें तेज हो गई हैं कि वे झामुमो में वापसी की राह तलाश रहे हैं। हालांकि कोल्हान टाईगर का साथ छूटने के बाद झामुमो किसी भी सीट पर सिटिंग विधायक को असंतुष्ट करने का RISK नहीं लेना चाहेगी। समीर मोहंती के विधायक रहते झामुमो में फिलहाल कुणाल की इंट्री आसान तो नहीं लगती।
कोरोना काल में भी कुणाल सोशल मीडिया के मार्फत जरूरतमंद लोगों को मदद पहुंचा कर काफी चर्चा में रहें थें और अब भी वो स्वास्थ्य और शिक्षा सम्बंधित मामलो में तत्पर होकर जरुरतमंदो तक मदद पहुंचाते रहते हैं। क्षेत्र में कुणाल सारंगी की सक्रियता बढ़ते ही भाजपा के लिए भी अब चुनौती बढ़ गई है। दिनेशानंद गोस्वामी, जो पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं, अब पार्टी का चेहरा बन सकते हैं। गोस्वामी के लिए यह मौका महत्वपूर्ण हो सकता है, खासकर जब विपक्ष में समीर मोहंती और कुणाल सारंगी जैसे प्रभावशाली उम्मीदवार होंगे।
बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में विभिन्न जातियों और समुदायों की उपस्थिति इसे राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील बनाती है। औद्योगिक और कृषि क्षेत्र में इसके योगदान के कारण इस क्षेत्र के विकास के मुद्दे हमेशा ही चुनावी एजेंडा में अहम रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि 2024 के विधानसभा चुनाव में क्षेत्र की जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है और कुणाल सारंगी का पुनर्निर्माण संकल्प यात्रा उनके लिए कितना फायदेमंद साबित होती है।
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