LJP vs BJP ! मोदी के 'हनुमान' और भाजपा के बीच क्या पड़ गया खटास ? LJP प्रमुख चिराग पासवान के बदलते सुर और राजनीतिक समीकरण, पढ़ें रिपोर्ट :-
LJP vs BJP in Bihar!!: मोदी के 'हनुमान' और भाजपा के बीच क्या पड़ गया खटास ?, LJP प्रमुख चिराग पासवान के बदलते सुर और राजनीतिक समीकरण, पढ़ें रिपोर्ट :- | Image : Google

LJP vs BJP! चिराग के चाचा पशुपति पारस की गृह मंत्री संग मुलाकात के क्या है मायने?

पटना: बिहार की राजनीति में चिराग पासवान की बढ़ती सक्रियता और उनकी पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (LJP), के बदलते सुर को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। चिराग पासवान के हालिया कदमों से भाजपा और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के साथ उनके रिश्तों पर भी सवाल उठने लगे हैं। चिराग पासवान ने हाल ही में विपक्ष द्वारा भारत बंद का खुलकर समर्थन किया और इसके समर्थन में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। यह कदम तब उठाया गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार का स्टैंड साफ कर दिया था। LJP का यह रुख न सिर्फ एनडीए के भीतर बल्कि बिहार की राजनीति में भी चर्चा का विषय बन गया है।

लेटरल एंट्री और वक्फ बोर्ड पर सख्त रुख

LJP ने लेटरल एंट्री नीति का विरोध किया और प्रेस के माध्यम से इसे जाहिर किया। वहीं, संसद में वक्फ बोर्ड पर ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की वकालत की गई। चिराग पासवान ने बिहार दौरे के दौरान वक्फ बोर्ड के नेताओं से मुलाकात भी की। इसके अलावा, LJP सांसद अरुण भारती ने JPC की पहली बैठक में हिस्सा लिया, जबकि वह सदस्य नहीं हैं।

राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं और भविष्य की योजनाएं

चिराग पासवान के इन कदमों को लेकर जनता का मानना है कि वह 2025 के विधानसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीटों पर बार्गेनिंग की तैयारी कर रहे हैं। लोगों का यह भी कहना है कि चिराग खुद को बिहार के अगले मुख्यमंत्री के रूप में देख रहे हैं। अचानक रोल परिवर्तन से भाजपा भी सशंकित हो गई है, और बिहार में 5-3 की कहानी भी तैरने लगी है। चिराग पासवान की इन गतिविधियों ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है, और आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि वह किस दिशा में बढ़ते हैं।

चिराग के चाचा पशुपति पारस की गृह मंत्री संग मुलाकात के मायने

चिराग पासवान के चाचा और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद बिहार की राजनीतिक सरगर्मियों में एक नई चर्चा शुरू हो गई है। इस मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा, चिराग पासवान और उनके बीच बढ़ती दूरी के विकल्प के रूप में एक बार फिर पशुपति पारस को अपने साथ ले सकती है। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब चिराग पासवान के हालिया बयानों और गतिविधियों ने एनडीए के भीतर तनाव बढ़ा दिया है। अब देखना होगा कि इस राजनीतिक समीकरण का आगामी चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

SARANSH NEWS

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