जमशेदपुर – झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले जमशेदपुर पश्चिम में एक नया और लोकप्रिय चेहरा सामने आया है—अन्नी अमृता। पत्रकारिता जगत में 20 सालों का समृद्ध अनुभव रखने वाली अन्नी अब राजनीति में कदम रखते हुए जनसेवा की दिशा में एक और कदम बढ़ा रही हैं। लंबे समय तक पत्रकारिता में अपनी कड़ी मेहनत और जनहित के मुद्दों को उठाने के बाद, अन्नी अमृता ने जमशेदपुर के लोगों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई है। इस बार 2024 के झारखण्ड विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी अन्नी अमृता कांग्रेस और भाजपा सरीखी पार्टियों के लिए बड़ी मुश्किल चुनौती बन कर चुनावी-रण में खड़ी दिखेंगी। आज से लगभग दो वर्ष पूर्व ही अन्नी अमृता ने एक विषय पर मंत्री बन्ना गुप्ता के साथ हुए अदावत के बाद सबसे पहले सोशल मीडिया पर अबकी चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। इस साल के शुरुवात में भी अन्नी ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके मीडिया के समक्ष अपनी आगामी कार्य योजना और चुनावी संकल्प को साझा करते हुए बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जमशेदपुर पक्षिमी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। जहाँ एक ओर इस सीट पर अलग अलग पार्टियों से लगभग दो दर्जन से ज्यादा प्रत्याशियों के नाम लगातार सामने आते रहते है, उनके बीच एकमात्र महिला प्रत्याशी के तौर पर सामाजिक विषयों पर सक्रिय और संवेदनशील प्रयास करने वाली अन्नी अमृता एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है।
- 20 साल का पत्रकारिता अनुभव, ईटीवी बिहार-झारखंड में 17 साल तक काम किया।
- सामाजिक मुद्दों पर बेबाक आवाज़, खासकर टाटा कमांड एरिया और गैर-टाटा इलाकों के भेदभाव पर।
- झारखंड सरकार से सम्मानित और साहित्य में दो किताबों की लेखिका।
अन्नी अमृता ने पत्रकारिता के माध्यम से जनता की समस्याओं को उजागर किया और प्रशासन को सवालों के कटघरे में खड़ा किया। चाहे वो टाटा कमांड एरिया और गैर-टाटा इलाकों के बीच भेदभाव का मुद्दा हो या फिर मंगो जलापूर्ति योजना की असफलता—अन्नी ने हमेशा आम लोगों की आवाज़ को बुलंद किया। उनका साफ-सुथरा और पारदर्शी रिकॉर्ड उन्हें राजनीति में एक साफ़ और ईमानदार विकल्प के रूप में प्रस्तुत करता है, जिसकी लोग लंबे समय से तलाश कर रहे हैं।
महिला सशक्तिकरण और सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय
अन्नी अमृता ने हमेशा महिलाओं और समाज से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता दी है। उन्होंने पत्रकारिता के दौरान महिलाओं के अधिकार, उनकी सुरक्षा, और सामाजिक न्याय से संबंधित मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी। यही कारण है कि जनता उन्हें एक सशक्त नेता के रूप में देख रही है, जो उनके हितों की नुमाइंदगी कर सकती हैं।
अन्नी न सिर्फ पत्रकार हैं बल्कि एक लेखिका भी हैं। उनकी दो पुस्तकें—”ये क्या है” और “मैं इंदिरा बनना चाहती हूँ“—लोगों में खूब चर्चित हुईं। उनके लेखन में सामाजिक मुद्दों और व्यक्तिगत संघर्षों की सजीव झलक मिलती है। शिक्षा के क्षेत्र में भी उनकी उपलब्धियां सराहनीय हैं। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में मास्टर्स की डिग्री हासिल की और अपनी शिक्षा का इस्तेमाल समाज के हित में किया।
आगामी चुनावों में उम्मीद की किरण…
झारखंड की राजनीति में अन्नी अमृता जैसे साफ़ और सक्षम चेहरों का आना एक सकारात्मक संकेत है। जनता अब ऐसे नेताओं की ओर देख रही है जो न केवल उनकी समस्याओं को समझ सकें, बल्कि उनका समाधान भी निकाल सकें। चुनावी मौसम में जब हर तरफ़ वादों की बाढ़ होती है, अन्नी अमृता अपने कर्मठ और पारदर्शी व्यक्तित्व के साथ लोगों के सामने एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में उभर रही हैं।
झारखंड विधानसभा चुनावों से पहले अन्नी अमृता का राजनीति में आना जनता को एक सशक्त और ईमानदार विकल्प प्रदान करता है, जो उनके लिए एक नई उम्मीद की किरण साबित हो सकता है।
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