नई दिल्ली स्थित नये झारखंड भवन के उद्घाटन समारोह में कथित उपेक्षा की एक नई कहानी लिखी गई। मंच पर जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज करा रहे थे, वहीं उनके ठीक पीछे लगे सरकारी बैनर में उनकी पत्नी और गांडेय से विधायक कल्पना सोरेन की तस्वीर ने सबका ध्यान खींचा। तस्वीर में JMM और Congress के दिग्गज मंत्रियों को छोड़कर, पहली बार विधायक बनीं कल्पना सोरेन को विशेष स्थान मिला, जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
जब तस्वीरें बोलने लगती हैं, तो राजनीति के खेल में बड़ों-बड़ों को छोटा बना देती हैं। कुछ ऐसा ही हुआ है जब पहली बार विधायक बनी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री के बगल में बिठाकर उन मंत्रियों और नेताओं को तीसरी पंक्ति में भेज दिया गया, जिन्होंने अपने करियर में कई चुनाव लड़े और जीते हैं। कल्पना सोरेन के चमत्कारी उभार ने मिथिलेश ठाकुर, हफीजुल हसन, रामदास सोरेन और इरफान अंसारी जैसे वरिष्ठ नेताओं को बगलें झांकने पर मजबूर कर दिया है। इन्होंने शायद ही कभी सोचा होगा कि एक नई विधायक के आगे उनकी सीनियरिटी इस तरह से बौनी हो जाएगी। और यह केवल विधायक ही नहीं, बल्कि Congress के कद्दावर नेताओं का भी हाल है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय और पूर्व सांसद धीरज साहू को तीसरी पंक्ति में बैठाकर राहुल गांधी ने ओबीसी नेताओं के सम्मान को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। अब आखिर सवाल तो बनता है, OBC को न्याय दिलाने की बात करने वाले राहुल जी, क्या यही है आपके न्याय का पैमाना ?
दिवंगत पूर्व मंत्री जगन्नाथ महतो कि पत्नी बेबी देवी जैसी मंत्रियों का हाल तो और भी दिलचस्प है। तस्वीरों में वे फीता काटने के लिए संघर्ष करती नज़र आ रही थीं, परंतु कल्पना सोरेन ने उनका रास्ता रोक दिया। लगता है, जैसे चंपई सोरेन का भी रास्ता ऐसे ही रोका जा रहा था। सामाजिक न्याय की बात करने वाले अब संविधान और न्याय को अपने पांव तले कुचलते दिख रहे हैं।
शायद मुख्यमंत्री की पत्नी को मिल रहा Special Treatment ही वह कारण रहा हो जिसकी वजह से झारखण्ड के इंडी गठबंधन में, विशेषकर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा में टूट पड़ रही है। पुराने और समर्पित लोग एक एक कर झामुमो का कुनबा छोड़कर भगवा ब्रिगेड में शामिल हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव में पहले जेठानी और देवरानी के बीच की डाह ने जेएमएम को बड़ा झटका दिया जब सीता सोरेन ने अपनी राहें जुदा करते हुए भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गयी| इसके बाद पिछले सप्ताह ही गुरूजी के पुराने सहयोगी और पार्टी के कद्दावर नेता चंपाई सोरेन और लोबिन हेम्ब्रम ने भी झामुमो पर कथित उपेक्षा और अपमान का आरोप लगाकर बीजेपी में शामिल हो गए। लेकिन दिल्ली में झारखण्ड भवन के उद्घाटन के अवसर पर आई तस्वीरों ने दुबारा फिर से यह सवाल ताज़ा कर दिया है की आखिर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पुरानी गलतियों से आखिर सबक क्यों नहीं ले रहे हैं। क्यों आखिर सार्वजनिक तौर पर पत्नी कल्पना सोरेन को झामुमो और गठबंधन की सहयोगी पार्टी कांग्रेस के पुराने नेताओं के मुकाबले अधिक वरीयता और तरजीह दी जा रही है| वह भी तब, जब किसी भी समय चुनाव आयोग द्वारा झारखण्ड में विधानसभा चुनाव की घोषणा की जा सकती है।
झामुमो में मियां-बीवी की सरकार, मंत्री-कार्यकर्ता सब दरकिनार,
देखिए कैसे हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन ने नये झारखंड भवन के उद्घाटन समारोह को फैमिली फंक्शन बना दिया। pic.twitter.com/VvH8o2FNhc
— BJP JHARKHAND (@BJP4Jharkhand) September 4, 2024
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