Viral Video : किसानों के नाम पर राजनीति: राकेश टिकैत पर प्रेमानंद जी महाराज का व्यंग्य
Viral Video : किसानों के नाम पर राजनीति: राकेश टिकैत पर प्रेमानंद जी महाराज का व्यंग्य

Viral video : में महाराज ने पूछा – “स्वार्थी नेता या किसानों के सच्चे हितैषी?”

Viral video :भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत, जो किसानों के मसीहा होने का दावा करते हैं, पर काथावाचक प्रेमानंद जी महाराज ने व्यंग्यपूर्ण प्रहार किया है। गंभीर बीमारी से जूझ रहे प्रेमानंद जी महाराज ने टिकैत के किसानों के नाम पर राजनीति करने के रवैये पर सवाल उठाया है।

प्रेमानंद जी महाराज, जिनकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं और जो लगातार डायलिसिस पर निर्भर हैं, ने कहा, “किसानों के हित में काम करना बहुत उत्तम कार्य है, लेकिन इसमें स्वार्थ की गंध नहीं होनी चाहिए।” उन्होंने यह भी बताया कि भगवान में उनके दृढ़ विश्वास और भक्ति ने उन्हें आज तक जीवित रखा है। उनकी किडनियों को उन्होंने ‘राधा’ और ‘श्याम’ नाम दिए हैं।

महाराज जी ने किसानों की मेहनत और संघर्ष को समझाते हुए कहा, “हम किसान के घर में पैदा हुए हैं, जानते हैं कि फसल नष्ट हो गई तो मानो किसान नष्ट हो गया।” उन्होंने कहा कि किसानों के पक्ष में होकर सरकार से अनुकूलता दिलाना जरूरी है, लेकिन स्वार्थ से दूर रहना चाहिए।

राकेश टिकैत ने हमेशा से मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ़ आवाज़ उठाई है और किसानों को बार-बार सरकार के खिलाफ़ भड़काया है। टिकैत ने खुद को किसानों का मसीहा बना कर पेश किया है, लेकिन महाराज जी ने उनके इस रवैये पर निशाना साधते हुए कहा कि किसानों के नाम पर राजनीति करना गलत है।

प्रेमानंद जी महाराज के बयान में यह स्पष्ट संदेश है कि किसानों के हित के लिए काम करना चाहिए, लेकिन स्वार्थ की गंध से दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “किसानों को सुविधा दिलाना एक नेक कार्य है, लेकिन इसे स्वार्थ से दूर रखना चाहिए।”

राकेश टिकैत का विरोध और किसानों के नाम पर उनकी राजनीति को लेकर प्रेमानंद जी महाराज का यह बयान एक नई चर्चा को जन्म देता है। अब देखना होगा कि टिकैत इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और किसान समुदाय इस बयान को कैसे लेता है।

सरांश: किसानों के हित के लिए काम करना आवश्यक है, लेकिन इसे स्वार्थ से दूर रखना चाहिए। प्रेमानंद जी महाराज ने राकेश टिकैत को इशारों-इशारों में यह संदेश दिया है कि किसानों के नाम पर राजनीति करना गलत है और किसानों के हित में काम करते हुए स्वार्थ को दूर रखना चाहिए ।

 

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By Admin

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