Vishwa Hindu Parishad (VHP) स्थापना दिवस: आज ही के दिन 60 वर्ष पूर्व, कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर हुई थी विश्व हिंदू परिषद की स्थापना…
विश्व हिन्दू परिषद् के स्थापना दिवस पर जानिये VHP के संस्थापक रहे स्वामी चिन्मयानंद जी के बारे में जुड़ी कुछ ख़ास बाते…
आज, जब देशभर में जन्माष्टमी की धूम है, विश्व हिंदू परिषद (VHP) भी अपने स्थापना के 60 गौरवशाली वर्षों का जश्न मना रहा है। यह संगठन, जो हिंदू धर्म और संस्कृति की रक्षा एवं प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित है, ने इन दशकों में जो मुकाम हासिल किए हैं, वे न केवल प्रशंसनीय हैं बल्कि प्रेरणादायक भी हैं।
विश्व हिंदू परिषद: स्थापना और उद्देश्य
1964 में जन्माष्टमी के दिन, स्वामी चिन्मयानंद, केएम मुंशी, मास्टर तारा सिंह, कुशल बकुला और सुशील मजी जैसे महान विचारकों ने हिंदू समाज की दशा-दिशा पर चिंतन करने के उद्देश्य से विश्व हिंदू परिषद की स्थापना की। इसके गठन का उद्देश्य केवल धार्मिक जागरूकता फैलाना ही नहीं था, बल्कि हिंदू संस्कृति को संरक्षित करने और समाज में सामाजिक एकता को बढ़ावा देने का भी था।
संगठन के प्रमुख उद्देश्य
- हिंदू संस्कृति और धर्म का संरक्षण: भारतीय समाज में हिंदू धर्म की परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने और प्रसारित करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, VHP ने इस दिशा में निरंतर कार्य किया है।
- सामाजिक जागरूकता: हिंदू समाज में सामाजिक और धार्मिक जागरूकता लाने के लिए VHP ने कई कार्यक्रम और अभियानों का आयोजन किया।
- सामाजिक सेवा: संगठन ने समाज के विभिन्न तबकों के उत्थान के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक परियोजनाओं को संचालित किया।
पहला स्थापना दिवस: प्रयागराज में ऐतिहासिक आयोजन
प्रयागराज, जिसे धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में जाना जाता है, में 1966 में विश्व हिंदू परिषद का पहला स्थापना दिवस मनाया गया। यह आयोजन इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि इसमें 218 पंडालों में हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर प्रथम विश्व हिंदू सम्मेलन का भी आयोजन हुआ, जिसमें धर्माचार्यों ने एक मंच पर आकर हिंदुत्व को प्रोत्साहित किया। यह सम्मेलन हिंदू समाज को एकजुट करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
स्वामी चिन्मयानंद जी: हिंदुत्व के महानायक
विश्व हिंदू परिषद की स्थापना के साथ ही, स्वामी चिन्मयानंद जी का नाम भी भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के इतिहास में अमर हो गया। उन्होंने न केवल VHP के माध्यम से हिंदू समाज को संगठित किया, बल्कि चिन्मय मिशन के माध्यम से विश्वभर में हिंदू धर्म के मूल्यों और आदर्शों का प्रचार-प्रसार किया। स्वामी जी का जीवन हिंदुत्व की सेवा में अर्पित रहा, और उन्होंने अपने उपदेशों और लेखों के माध्यम से अनगिनत लोगों को धर्म के पथ पर अग्रसर किया।
स्वामी चिन्मयानंद जी ने गीता ज्ञान यज्ञ की परंपरा शुरू की, जिससे वेदांत के गूढ़ सिद्धांतों को जन-जन तक पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। उनकी शिक्षाएं आज भी विश्वभर में लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं, और उन्होंने हिंदू धर्म की परंपराओं को नए आयाम दिए।
विश्व हिंदू परिषद के 60 वर्षों का यह सफर अत्यंत गौरवशाली रहा है, और अब संगठन नए आयामों की ओर अग्रसर है। हिंदू धर्म और संस्कृति की पताका को लहराने के लिए, VHP का यह अभियान अनवरत चलता रहेगा। Swami Chinmayanand Ji की शिक्षाएं और उनका योगदान हमेशा संगठन की प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।