क्या है 'Suo Moto Cognizance' ? जानिए COURT के इस अधिकार का मतलब, फ़ायदे और कुछ उदाहरण
क्या है 'Suo Moto Cognizance' ? जानिए COURT के इस अधिकार का मतलब, फ़ायदे और कुछ उदाहरण

आपने अक्सर सुना होगा कि कोर्ट ने Suo Moto Cognizance लिया, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका सही मतलब क्या होता है और इसे क्यों लागू किया जाता है? इस रिपोर्ट में हम आपको ‘सुओ मोटो कॉग्निजेंस’ के बारे में विस्तार से बताएंगे, इसके कानूनी महत्व को समझाएंगे, और इसके फायदे और हालिया उदाहरणों पर चर्चा करेंगे।

सुओ मोटो कॉग्निजेंस का मतलब:
Suo Moto Cognizance एक ऐसा कानूनी प्रावधान है, जिसके तहत Supreme Court या High Court किसी मामले का संज्ञान खुद से ले सकती है, बिना किसी याचिका, अपील या अनुरोध के। सामान्यतः जब किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो वह न्याय पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाता है। लेकिन कुछ ऐसे मामले भी होते हैं, जिनमें सार्वजनिक हित जुड़ा होता है, या जहां मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बड़े स्तर पर हो रहा होता है। ऐसे मामलों में, कोर्ट खुद से संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकती है। इस प्रक्रिया को ‘सुओ मोटो कॉग्निजेंस’ कहते हैं।

इसकी जरूरत क्यों पड़ती है  ?
Suo Moto Cognizance का मुख्य उद्देश्य न्याय प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाना है। जब किसी बड़े सामाजिक मुद्दे या सार्वजनिक हित के मामले में न्याय की आवश्यकता होती है, तो कोर्ट समय बर्बाद किए बिना उस मामले का संज्ञान ले लेती है। इससे न्याय मिलने की प्रक्रिया में तेजी आती है, जांच की गुणवत्ता में सुधार होता है, और संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाती है।

उदाहरण:
हाल के कुछ उदाहरणों पर नजर डालें तो, कोलकाता मर्डर केस, बदलापुर केस और मणिपुर रेप केस ऐसे मामले हैं जिनमें कोर्ट ने Suo Moto Cognizance आसान भाषा में समझें तो “स्वतः संज्ञान लिया”|  इन मामलों में कोर्ट ने बिना किसी याचिका के ही संज्ञान लिया और तत्काल कार्रवाई की। उदाहरण के लिए, मणिपुर रेप केस में जब राज्य सरकार और पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठे, तो सुप्रीम कोर्ट ने खुद से संज्ञान लेकर मामले को अपने हाथ में लिया। कोर्ट ने न केवल जांच प्रक्रिया को तेज किया बल्कि पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए विशेष निर्देश भी जारी किए।

Court द्वारा स्वतः संज्ञान के फायदे:

  1. प्रक्रियाओं में तेजी: कोर्ट द्वारा खुद से संज्ञान लेने पर न्यायिक प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ती है, जिससे पीड़ितों को समय पर न्याय मिल पाता है।
  2. जांच की दक्षता: ऐसे मामलों में जांच की गुणवत्ता बढ़ जाती है, क्योंकि कोर्ट की नजरें सीधे तौर पर मामले पर होती हैं।
  3. अधिकारियों की जवाबदेही: जब कोर्ट खुद से संज्ञान लेती है, तो संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही बढ़ जाती है, जिससे वे लापरवाही से बचते हैं।
  4. विशेष निर्देश: कोर्ट विशेष परिस्थितियों में विशेष निर्देश जारी कर सकती है, जिससे न्याय की प्रक्रिया में सुधार होता है।

‘सुओ मोटो कॉग्निजेंस’ एक महत्वपूर्ण कानूनी अधिकार है, जो न्याय प्रणाली को प्रभावी और समयोचित बनाता है। इसके तहत कोर्ट बिना किसी याचिका के भी जनहित या मौलिक अधिकारों से जुड़े मामलों का संज्ञान लेकर न्याय प्रक्रिया को सुनिश्चित करती है। यह न केवल न्याय पाने के अधिकार को मजबूत करता है बल्कि इससे समाज में न्याय की स्थापना भी होती है।

 

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